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Shimla. शिमला। हिमाचल प्रदेश में एचआरटीसी और प्राइवेट बस ऑपरेटरों के बीच चल रहे विवाद के बीच मंगलवार को निदेशक परिवहन डीसी नेगी के साथ दोनों पक्षों की बैठक हुई है। इस बैठक में परिवहन निदेशक ने मामले की पड़ताल करने के बाद दस दिन उपरांत दोबारा से बैठक करने को कहा है। उन्होंने दोनों पक्ष सुने और कहा कि यदि कहीं गलत हो रहा है, तो उस पर कार्रवाई की जाएगी। एचआरटीसी की तरफ से इस बैठक में उनके अधिकारी पंकज सिंघल व देवा सेन नेगी थे, तो प्राइवेट बस ऑपरेटर संघ के अध्यक्ष राजेश पराशर व महासचिव रमेश कमल के अलावा अन्य पदाधिकारी मौजूद थे। प्राइवेट ऑपरेटरों ने यहां कलस्टर से बाहर चल रही बसों का जिक्र किया वहीं एचआरटीसी को टेंपरेरी रोड परमिट नहीं दिए जाने की सिफारिश की। उन्होंने कहा कि यदि एचआरटीसी को अस्थायी रूप से नए रूट आबंटित किए गए तो वह लोग अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे क्योंकि यह अदालत के आदेशों की अवमानना होगी। उन्होंने इसके खिलाफ परिवहन निदेशक को लिखित शिकायत पहले की कर दी थी जिस पर चर्चा की गई है।
उन्होंने न्यायालय के पुराने आदेशों की प्रतियां भी सौंपी। उनका कहना था कि एचआरटीसी को दोबारा चैप्टर 6 मोटर वाहन अधिनियम की धारा 99 के अनुसार स्कीम बनाकर जिसकी पहली अधिसूचना 12 अक्तूबर, 2017 को की गई, जिसमें हजारों परमिट जारी किए थे और सैकड़ों अस्थायी परमिट दिए और स्कीम की अंतिम अधिसूचना 11 अक्तूबर, 2018 को की गई, जिसके खिलाफ उच्च न्यायालय ने आदेश दिए पर कोई भी परमिट जारी करने की रोक लगा दी गई है और जो अस्थायी परमिट जारी किए गए थे वह भी सभी रद्द किए जाने थे। उच्च न्यायालय के आदेशानुसार एचआरटीसी को जो रूट परमिट जारी किए गए थे वह तब तक वैध होंगे जब तक कि इसकी तिथि समाप्त नहीं होती है। इन परमिट को दोबारा नवीनीकरण नहीं किया जा सकता, न ही अस्थायी परमिट जारी किया जा सकता है। परिवहन निदेशक ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद दस दिन के भीतर एक और बैठक करने को कहा है तब तक अपने स्तर पर परिवहन निदेशक भी मामले की छानबीन करेंगे। तब तक एचआरटीसी को न तो अस्थायी परमिट दिया जाएगा और न ही सरेंडर रूटों को लेकर मामला आगे बढ़ेगा।
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