भारत

High Court ने एकल पीठ के निर्णय पर लगाई मुहर

Shantanu Roy
4 Sep 2024 9:45 AM GMT
High Court ने एकल पीठ के निर्णय पर लगाई मुहर
x
Shimla. शिमला। प्रदेश हाई कोर्ट ने सरकार की अपील को तथ्यहीन ठहराते हुए 5000 रुपए कॉस्ट के साथ खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार की इस तरह की तुच्छ मुकदमेबाजी के चलते कोर्ट पर अन्यथा बोझ बढ़ता है। कोर्ट ने कॉस्ट की राशि राज्य विधि सेवा प्राधिकरण के पास जमा करवाने के आदेश जारी किए है। साथ ही मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव व न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने एकल पीठ द्वारा पारित निर्णय पर अपनी मोहर लगा दी। पर्यावरण विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग शिमला में अनुसंधान सहायक के पद पर कार्यरत प्रार्थियों ने याचिका दाखिल कर दलील दी थी कि वे भर्ती और पदोन्नति नियमों के अनुसार पदोन्नति के लिए पात्र हैं, क्योंकि उनके पास अब छह साल से अधिक की सेवा है। उनकी छह वर्ष की नियमित व अनुबंध के आधार पर दी सेवा के बावजूद प्रतिवादी विभाग द्वारा पर्यावरण अभियंता के पद पर पदोन्नति के लिए विचार नहीं
किया जा रहा है।


उनकी मांग थी कि उन्हें पदोन्नत करने का निर्देश जारी किया जाए, क्योंकि विभाग के पास पर्यावरण अभियंता के पद खाली पड़े हैं। एकल पीठ ने स्पष्ट किया था कि न्यायालय को यह मानने में कोई हिचकिचाहट नहीं है कि याचिकाकर्ता अनुसंधान सहायक के पदों के लिए तय नियमों के अनुसार अनुबंध पर रखे गए थे इसलिए याचिकाकर्ताओं की अनुबंध के आधार पर नियुक्ति की प्रारंभिक तिथि से मूल्यांकन किया जाए। चूंकि याचिकाकर्ता पर्यावरण अभियंता के पद के लिए भर्ती और पदोन्नति नियमों में निर्धारित पात्रता मानदंडों को पूरा करते हैं, अर्थात, निरंतर अनुबंध सेवा के साथ छह साल की नियमित सेवा पूरी करना, जैसा कि भर्ती एवं पदोन्नति नियमों में तदर्थ शब्द का उपयोग किया गया है। एकल पीठ ने पर्यावरण अभियंता के पद पर पदोन्नति के लिए पात्र माना और पर्यावरण अभियंता के पद के खिलाफ पदोन्नति के लिए याचिकाकर्ता के मामले पर विचार करने के लिए प्रतिवादियों को आदेश जारी किए।
Next Story