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सुप्रीम कोर्ट में हरियाणा का अर्जी दाखिल, किसान संगठनों के 43 सदस्यों को पक्षकार बनाने का किया आग्रह

Kunti Dhruw
3 Oct 2021 3:34 PM GMT
सुप्रीम कोर्ट में हरियाणा का अर्जी दाखिल, किसान संगठनों के 43 सदस्यों को पक्षकार बनाने का किया आग्रह
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सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली, हरियाणा सरकार ने किसान आंदोलन के कारण राजमार्ग बंद होने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर समस्या के हल के लिए विभिन्न किसान संगठनों के 43 लोगों को पक्षकार बनाने का आग्रह किया है। शीर्ष अदालत में सोमवार को इस पर सुनवाई होगी। नोएडा की रहने वाली मोनिका अग्र वाल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर सड़क बंद होने के कारण दिल्ली जाने-आने में हो रही परेशानी का मुद्दा उठाया है। पिछली सुनवाई पर कोर्ट ने लंबे समय से राजमार्गों के बंद रहने पर नाराजगी जताते हुए कहा था कि रास्ते को हमेशा के लिए बाधित नहीं किया जा सकता।

कृषि कानून विरोधी प्रदर्शन के चलते राजमार्गो के बंद होने का मामला
यह भी कहा था कि कोर्ट व्यवस्था देता है उसे लागू कैसे किया जाए, यह देखना कार्यपालिका का काम है। हरियाणा ने कोर्ट से किसान संगठनों के नेताओं को पक्षकार बनाने का आग्रह किया था जिस पर कोर्ट ने उनसे औपचारिक अर्जी दाखिल करने को कहा था। मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पीठ कर रही है।
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अर्जी में भाकियू के राकेश टिकैत और स्वराज अभियान के योगेंद्र यादव के भी नाम
अब हरियाणा सरकार की ओर से दायर की गई अर्जी में विभिन्न किसान संगठनों के 43 लोगों को पक्षकार बनाया गया है। इसमें भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत, भारतीय किसान यूनियन के ही ऋषभ चौधरी, क्रांतिकारी किसान यूनियन पंजाब के प्रदेश अध्यक्ष दर्शन पाल, भारतीय किसान यूनियन एकता उग्राहा के जोगिन्दर सिंह, कुल हिंद किसान संघर्ष तालमेल कमेटी के हन्नान मोल्लाह, स्वाराज अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष योगेंद्र यादव शामिल हैं। किसान महापंचायत की अर्जी पर भी आज सुनवाई इस मामले के अलावा किसान महापंचायत की अर्जी भी सोमवार को सुनवाई पर लगी है, जिसमें जंतर मंतर पर सत्याग्रह की इजाजत मांगी गई है।
सुप्रीम कोर्ट ने किसान महापंचायत को आड़े हाथ लिया था
इस पर न्यायमूर्ति एएम खानविल्कर की अध्यक्षता वाली पीठ सुनवाई कर रही है। पिछली सुनवाई पर कोर्ट ने किसानों द्वारा सड़क रोकने से लोगों को हो रही दिक्कतों पर नाराजगी जताते हुए किसान महापंचायत को आड़े हाथ लिया था। संगठन की ओर से जब कहा गया कि उन्होंने सड़क बाधित नहीं की है बल्कि पुलिस ने बाधित की है और वे किसानों के धरने में शामिल नहीं हैं, तो कोर्ट ने संगठन को हलफनामा दाखिल कर यह बात कहने का निर्देश दिया था और मामले को सोमवार को सुनवाई पर लगा दिया था।
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