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Paonta Sahib. पांवटा साहिब। भाटांवाली कचरा संयंत्र के पास और पांवटा साहिब में इस मानसून सीजन में पहली बार मियावाकी पौधारोपण शुरू किया जाएगा। इस जुलाई में पांवटा साहिब में भाटांवाली एनजीटी निगरानी क्षेत्र में लगभग दो एकड़ क्षेत्र में मियावाकी वृक्षारोपण किया जाएगा। पहली मियावाकी तकनीक इस साल पांवटा में छोटे पैमाने पर यमुना रिवरफ्रंट पार्क में शुरू की गई थी और उच्च घनत्व वृक्षारोपण के साथ भाटांवाली में इसे बढ़ाया जाएगा। यह 1970 के दशक में जापानी वनस्पति शास्त्री अकीरा मियावाकी द्वारा बनाई गई एक वैज्ञानिक वृक्षारोपण तकनीक है। यह प्राकृतिक वन की तर्ज पर तेजी से बढ़ते घने वन क्षेत्र बनाने में मदद करेगा। यह प्रस्ताव भाटांवाली बनाम यूओआई के संदर्भ में एक अनुकूलित मियावाकी वृक्षारोपण के माध्यम से पर्यावरण की बहाली के लिए एक कार्य योजना के हिस्से के रूप में पांवटा साहिब वन विभाग द्वारा नवंबर, 2023 में तैयार किया गया था।
यह भाटांवाली मामले में माननीय एनजीटी के आदेशों के अनुपालन के हिस्सों में से एक है, ताकि अगले 5-10 वर्षों में घने वृक्षारोपण की एक हरी दीवार बनाई जा सके और घने पत्ते वाले लंबे पौधों के माध्यम से अपशिष्ट संयंत्र के करीब रहने वाले समुदायों को बचाया जा सके। कचरा सफाई का काम, मिट्टी का काम, बाड़ लगाना, गेट का काम, वर्मी कंपोस्टिंग और लेवलिंग का काम पूरा किया जा रहा है, ताकि जुलाई में मियावाकी वृक्षारोपण किया जा सके। तीन हजार झाडिय़ों और जड़ी-बूटियों के साथ लगभग 700-1000 लंबे पौधे लगाए जाएंगे, जिनमें चंदवा परत के लिए शीशम, अमलतास, खैर, नीम, सेमुल, तुन, ढाक, जंगली आम आदि सहित देशी और तेजी से बढऩे वाली प्रजातियां, हरशृंगार जैसी सुगंधित प्रजातियां शामिल होंगी। इसके अलावा रात की रानी, बेर, विटेक्स, करोंदा, एगेव, नाल, मुंज, दूब आदि जड़ी-बूटियों से युक्त झाड़ीदार परत भी शामिल होंगी। इसका उद्देश्य एक सच्चे मिश्रित जंगल को दौहराने का है जो राज्य के अन्य हिस्सों के लिए एक उदाहरण के रूप में कार्य कर सकता है, जिसमें देशी प्रजातियों पर ध्यान केंद्रित किया जा सकता है जिन्हें स्थानीय स्थलाकृति और एडैफिक कारकों के अनुरूप लगाया जा सकता है।
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