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Electricity परियोजनाओं के बांधों पर सरकार की नजर

Shantanu Roy
6 July 2024 12:02 PM GMT
Electricity परियोजनाओं के बांधों पर सरकार की नजर
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Shimla. शिमला। हिमाचल प्रदेश में बरसात में होने वाली तबाही हमेशा भयावह रहती है। बरसात में नदियों का जल स्तर बढ़ जाता है और यहां मौजूद बिजली परियोजनाओं के डैम भी तबाही का कारण बन जाते हैं। पिछले साल पौंग बांध से जो पानी छोड़ा गया उसने भयंकर तबाही मचाई थी। ऐसा ही पहले भी हो चुका है लिहाजा इस बार बांध सुरक्षा पर सरकार ने अधिक ध्यान देने की कोशिश की है। शिमला में स्टेट डाटा सेंटर है, जिसमें सभी बिजली परियोजनाओं में बांध की स्थिति को लेकर हर एक घंटे की सूचना जुटाई जा रही है। स्टेट डिजास्टर मैनेजमेंट सेल को खास तौर पर इस पर नजर रखने को कहा गया है। वर्तमान स्थिति की बात करें तो अभी तक प्रदेश की कोई भी नदी उफान पर नहीं है, जहां पर बांध बने हैं। जो रिपोर्ट यहां लगातार मिल रही है उनके आंकलन से यह साफ है कि आने वाले दिनों में यदि बरसात का फ्लो बढ़ता है, तो नदियों में जलस्तर बढ़ेगा और बांध में पानी खतरे के निशान तक पहुंच सकता है। बताया जाता है कि सरकार ने इस बार पूरी सख्ती की है और सभी बिजली परियोजना प्रबंधकों को कहा गया है कि
वह अपनी रिपोर्ट देते रहेंगे।

जैसे ही किसी बांध में पानी का जलस्तर बढ़ता हुआ दिखता है, तो शिमला में स्टेट डाटा सेंटर से ऊर्जा निदेशालय को इसकी जानकारी दी जाती है। वहां जानकारी मिलने के साथ ही संबंधित परियोजना प्रबंधकों को तुरंत आगाह किया जाता है कि उन्हें आगे क्या करना है। हिमाचल प्रदेश में कुल 24 डैम हैं। शुक्रवार की बात करें, तो लारजी परियोजना के बांध में रिजर्वायर का स्तर 969.5 मीटर का है, जहां पर पानी का फ्लो 966 मीटर का है। यहां पर नदी से 661.32 क्यूमेक्स पानी आया है। इसी तरह से जतौन बैराज में 39.61 क्यूमेक्स पानी है, जबकि पौंग डैम में 398.751 मीटर का वाटर लेवल है, जो 423.67 मीटर पर खतरे के निशान तक पहुंचता है। पंडोह में 751.64 क्यूमेक्स पानी है। यहां का वाटर लेवल 896.42 पर खतरे के निशान पर पहुंचता है। भाखड़ा, चमेरा, पार्वती, बजोली होली, कोलडैम, नाथपा, सावड़ा कुड्डू, कड़छम व मलाणा आदि में भी वर्तमान में स्थिति नियंत्रण में है। पिछले साल बिजली बोर्ड की लारजी परियोजना को काफी बड़ा नुकसान हुआ था। यह परियोजना अभी अभी भी पूरी तरह से शुरू नहीं हो पाई है। भारी बारिश की वजह से इसका नुकसान उठाना पड़ा। वहीं कुल्लू में एक निजी परियोजना के बांध के गेट ही बंद हो गए थे जिनको मुश्किल से खोला जा सका। इसी तरह से पौंग में पानी को छोड़ दिया गया और इसकी कोई पूर्व सूचना लोगों को नहीं मिल सकी। अचानक छोड़े पानी से यहां बाढ़ आ गई और कई गांवों में इसका प्रभाव पड़ा।
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