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Court के आदेशों को चुनौती देंगे सरकारी महकमे

Shantanu Roy
23 July 2024 10:27 AM GMT
Court के आदेशों को चुनौती देंगे सरकारी महकमे
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Shimla. शिमला। प्रदेश उच्च न्यायालय व अन्य अधीनस्थ अदालतों से अलग-अलग श्रेणियों के कर्मचारियों के हक में आए फैसलों से सरकार के सामने खड़ी हुई वित्तीय देनदारी पर सोमवार को वित्त विभाग ने मंथन किया। प्रधान सचिव वित्त देवेश कुमार की अध्यक्षता में यह बैठक होनी थी, मगर वह किन्हीं कारणों से नहीं आ सके। लिहाजा विशेष सचिव वित्त रोहित जम्वाल ने यह बैठक ली। इसमें लगभग सभी विभागों के अधिकारी मौजूद थे, वहीं विभिन्न जिलों से भी अधिकारी बुलाए गए थे। इस बैठक में विभागों के डीडीओ के अलावा लॉ ऑफिसर भी मौजूद थे। साथ ही सचिवालय के ब्रांच अफसर भी बुलाए थे। अलग-अलग विभागों ने अपने अदालती मामलों को लेकर जानकारी दी, जिनसे अदालती फैसलों के बाद पडऩे वाली वित्तीय देनदारी की रिपोर्ट देने को कहा गया है। सभी विभाग इसका आकलन करेंगे जिसके बाद पता चलेगा कि आखिर सरकार पर कितना वित्तीय बोझ पड़ चुका है। बैठक में फैसला हुआ है कि जिन मामलों को अदालत में वापस चुनौती दी जा सकती है, उन पर चुनौती दी जाए। विभाग अपने स्तर पर अदालतों में जाएं और अपना पक्ष रखें। क्योंकि यह लायबिलिटी एक साथ करोड़ों रुपए की पडऩे जा रही है, लिहाजा इसमें वित्त विभाग
पहले ही हाथ खड़े कर चुका है।

सरकार कर्मचारियों की देनदारी चुकता करना चाहती है, मगर अभी उसके पास वित्तीय संसाधन नहीं है। पैसा न होने के चलते कर्मचारियों के वित्तीय लाभ लटक रहे हैं। रिटायरमेंट के बाद कुछ कर्मचारी अदालत की शरण में गए हैं और अदालत ने उनके हक में फैसले सुनाए हैं। सभी विभागों पर इस तरह के फैसले प्रभारित हो रहे हैं और इसमें सरकार को करोड़ों रुपए की देनदारी चुकता करनी पड़ेगी। वित्त विभाग ने सभी अधिकारियों को कहा है कि वह वित्तीय देनदारी का आंकड़ा पेश करें और साथ ही जिन मामलों में अदालत में चुनौती दी जा सकती है उसमें कोर्ट में जाएं। जिन मामलों को सुप्रीम कोर्ट में ले जाकर प्रदेश को राहत मिलने की उम्मीद लगती है, उन मामलों को दायर करने को कहा गया है। कर्मचारियों की छठे वेतनमान से जुड़ी देनदारी है। सरकार मानती है कि यह आंकड़ा 10 हजार करोड़ रुपए के आसपास का है। इसके अलावा केेर्मचारियों की लीव इन्कैशमेंट, संशोधित गे्रच्युटी, रिटायरमेंट बेनिफिट 2016 से देने और अनुबंध काल की सीनियोरिटी का लाभ देने जैसे मामले हैं, जिनमें करोड़ों रुपए की लाइबिलिटी है। शिक्षा विभाग में भी ऐसे कुछ आदेश अदालत से आए हैं, जिसमें सरकार पर एक हजार करोड़ रुपए से ऊपर की देनदारी पड़ गई है। यदि अनुबंध काल का लाभ देना पड़े , तो शिक्षा विभाग ही पांच से सात हजार करोड़ का बोझ पड़ जाएगा।
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