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Palampur. पालमपुर। हिमाचली गद्दी कुत्ते को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के तहत राष्ट्रीय आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो (आईसीएआर.एनबीएजीआर) करनाल द्वारा आधिकारिक तौर पर एक स्वदेशी कुत्ते की नस्ल के रूप में मान्यता दी गई है। यह मान्यता कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों और पशुपालन विभाग के अधिकारियों के प्रयासों के बाद मिली है, जिन्होंने नस्ल की अनूठी स्थिति का समर्थन करने के लिए वैज्ञानिक प्रमाण प्रदान किए। गद्दी कुत्ता अब भारत में आधिकारिक रूप से पंजीकृत होने वाली चौथी स्वदेशी कुत्ते की नस्ल है और हिमालयी क्षेत्र की पहली ऐसी नस्ल है। नस्ल का नाम गद्दी जनजाति के नाम पर रखा गया है, जो पारंपरिक रूप से भेड़ और बकरियों को चराने के काम के लिए जानी जाती है। ये कुत्ते पशुओं और मनुष्यों के बीच एक महत्त्वपूर्ण कड़ी के रूप में काम करते हैं।
चरवाहों की सहायता करते हैं, पशुओं की रक्षा करते हैं और चरवाहों के साथ एक अनोखा बंधन स्थापित करते हैं। कृषि विश्व विद्यालय के कुलपति डा. नवीन कुमार ने इस महत्त्वपूर्ण उपलब्धि को हासिल करने में वैज्ञानिकों की टीम और डा. जीसी नेगी पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान महाविद्यालय के अधिष्ठाता डा. रविंद्र कुमार को उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण के लिए बधाई दी। उन्होंने गद्दी कुत्ते की नस्ल को मान्यता देने में उनके बहुमूल्य योगदान को सराहा। कुलपति ने बताया कि विश्वविद्यालय ने पशु चिकित्सा महाविद्यालय में गद्दी कुत्तों के लिए एक बाहरी संरक्षण इकाई की स्थापना की है। यह इकाई पशुपालन विभाग और हिमाचल प्रदेश विज्ञान, प्रौद्योगिकी और पर्यावरण परिषद से वित्तीय सहायता के साथ स्थानीय चरवाहों और पालतू पशु प्रेमियों को गद्दी कुत्ते के पिल्ले प्रदान करती है।
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Shantanu Roy
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