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न्यूज़ क्रेडिट: आजतक
नई दिल्ली: केरल के बाद अब देश की राजधानी दिल्ली में भी मंकीपॉक्स ने दस्तक दे दी है. मंकीपॉक्स को लेकर दिल्ली सरकार ने लोकनायक जयप्रकाश (LNJP) अस्पताल में नोडल हॉस्पिटल बनाया है. यहां 6 बेड्स का एक आइसोलेशन वार्ड है. मंकी पॉक्स के लिए हॉस्पिटल स्टाफ को ट्रेनिंग भी दी गई है. नर्सिंग स्टाफ, डॉक्टर्स और टेक्नीशियन को मंकी पॉक्स की डिटेल जानकारी दी गई है. उन्हें बताया गया है कि इसके क्या लक्षण होते हैं और कैसे सैंपल कलेक्ट किए जाते हैं.
LNJP अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर डॉ. सुरेश कुमार ने बताया कि इसका टेस्ट नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी पुणे में होता है. यह अलग तरह का वायरस है. हम WHO की गाइडलाइंस और भारत सरकार के निर्देशों का पालन कर रहे हैं. बुश मीट और वाइल्ड एनिमल्स के जरिए यह फैलता है. मंकीपॉक्स में मरीज को स्कीन पर निशान आता है, रैशेज होते हैं. बुखार, आंखों में लालपन और मशल्स पेन भी इसके लक्षण हैं.
यह एक DNA वायरस है, इसमें ह्यूमन टू ह्यूमन ट्रांसमिशन भी होता है. अगर कोई पेशेंट के क्लोज कॉन्टैक्ट में हो, क्लॉथ शेयर करते हों, तो उसमें भी ट्रांसमिशन हो सकता है. इस बीमारी में इंसान से इंसान में संक्रमण हो सकता है. इससे बचाव के लिए मास्क का प्रयोग सबसे जरूरी है. सामान्य मास्क का भी प्रयोग किया जा सकता है. इसके साथ-साथ सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखना भी जरूरी है. यदि किसी व्यक्ति में मंकीपॉक्स के लक्षण सामने आते हैं तो उसे तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए. इसके टेस्ट के लिए स्किन से स्लेट लिया जाता है. इसका टेस्ट स्किन से होता है. इसकी जांच से हमें पता चलता है कि इंसान में मंकीपॉक्स का वायरस है या कोई दूसरा वायरस.
मंकीपॉक्स के मरीजों को सिस्टमैटिक ट्रीटमेंट दिया जाता है. अगर बुखार है तो पेरासिटामोल दिया जाता है. अगर किसी को स्किन में प्रॉब्लम है तो स्किन का इलाज किया जाता है. ज्यादातर मंकीपॉक्स के मामले 2 से 3 हफ्ते में ठीक हो जाते हैं, जिन लोगों की इम्युनिटी कमजोर होती है उन्हें थोड़ी परेशानी होती है.
बता दें कि WHO ने शनिवार को मंकीपॉक्स को लेकर हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर दी है. वहीं आज WHO चीफ डॉ. ट्रेडोस ने कहा कि होमोसेक्युअल लोगों पर मंकीपॉक्स का प्रकोप है. इसलिए नॉर्मल लोगों तक आने से पहले इस वायरस को नियंत्रित किया जा सकता है.
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