बुड्ढा अमरनाथ यात्रा के लिए तीर्थयात्रियों का पहला जत्था रवाना
जम्मू-कश्मीर। प्रशासन ने बुड्ढा अमरनाथ यात्रा के लिए तीर्थयात्रियों के पहला जत्थे को जम्मू से रवाना किया। ADGP मुकेश सिंह ने बताया कि आज से शुरू होकर अगले 11 दिनों तक चलने वाली बुड्ढा अमरनाथ यात्रा के लिए सभी सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं। सभी यात्रियों को उनकी यात्रा के लिए शुभकामनाएं।
#WATCH जम्मू-कश्मीर: प्रशासन ने बुड्ढा अमरनाथ यात्रा के लिए तीर्थयात्रियों के पहला जत्थे को जम्मू से रवाना किया। pic.twitter.com/EFnilGLrg0
— ANI_HindiNews (@AHindinews) August 18, 2023
पाकिस्तानी क्षेत्र से तीन ओर से घिरी सीमावर्ती पुंछ घाटी के उत्तरी भाग में पुंछ कस्बे से 23 किमी की दूरी पर स्थित बुड्ढा अमरनाथ मंदिर सांप्रदायिक सौहार्द की कथा भी सुनाता है जो इस क्षेत्र में है। वैसे यह भी कहा जाता है कि भगवान शिव ने कश्मीर में स्थित अमरनाथ की गुफा में माता पार्वती को जो अमरता की कथा सुनाई थी उसकी शुरुआत बुड्ढा अमरनाथ के स्थान से ही हुई थी और अब यह मान्यता है कि इस मंदिर के दर्शनों के बिना अमरनाथ की कथा ही नहीं, बल्कि अमरनाथ यात्रा भी अधूरी है। कितने आश्चर्य की बात है कि हिन्दुओं का धार्मिक स्थल होने के बावजूद इसके आसपास कोई हिन्दू घर नहीं है और इस मंदिर की देखभाल आसपास रहने वाले मुस्लिम परिवार तथा सीमा सुरक्षा बल के जवान ही करते हैं।
मंदिरों की नगरी जम्मू से 246 किमी दूरी पर स्थित पुंछ घाटी के राजपुरा मंडी क्षेत्र, जहाँ तक पहुँचने के लिए किसी प्रकार की पैदल यात्रा नहीं करनी पड़ती है और जिसके साथ ही कश्मीर का क्षेत्र तथा बहुत ही खूबसूरत लोरन घाटी लगती है, में स्थित बुड्ढा अमरनाथ का मंदिर चकमक पत्थर से बना हुआ है। यह सभी अन्य शिव मंदिरों से पूरी तरह से भिन्न है। मंदिर की चारदीवारी पर लकड़ी के काम की नक्काशी की गई है जो सदियों पुरानी बताई जाती है। कहा जाता है कि भगवान शिव द्वारा सुनाई जाने वाली अमरता की कथा की शुरुआत भी यहीं से हुई थी।
पीर पंजाल पर्वत श्रृंखला के कदमों में ही स्थित मंदिर के आसपास के पहाड़ सालभर बर्फ की सफेद चादर से ढँके रहते हैं जो हमेशा ही एक अद्भुत नजारा प्रस्तुत करते हैं। मंदिर के एक ओर लोरन दरिया भी बहता है जिसे 'पुलस्त्य दरिया' भी कहा जाता है और उसका पानी बर्फ से भी अधिक ठंडक लिए रहता है। सनद रहे कि पुंछ कस्बे का पहला नाम पुलस्त्य ही था। बर्फ से ढँके पहाड़, किनारे पर बहता शुद्ध जल का दरिया तथा चारों ओर से घिरे ऊँचे पर्वतों के कारण यह रमणीक स्थल हिल स्टेशन से कम नहीं माना जाता है।