पीडब्ल्यूडी में एफडीआर का बंटवारा, कांगड़ा और मंडी में सबसे ज्यादा काम
शिमला। प्रधानमंत्री ग्राम सडक़ योजना में फुल डेप्थ रिक्लेमेशन (एफडीआर) तकनीक से बनने वाली 660 किलोमीटर सडक़ का बंटवारा हो गया है। हिमाचल में पहली मर्तबा जर्मन तकनीक का इस्तेमाल छह जिलों के सात डिवीजन में होगा। सबसे बड़ा हिस्सा नूरपुर डिवीजन के पास आया है। हिमाचल में इस तकनीक का इस्तेमाल करने वाली फिलहाल कोई भी फर्म नहीं है। ऐसे में पीडब्ल्यूडी ने एफडीआर के ग्लोबल टेंडर का फैसला किया है और अब विश्वस्तरीय कंपनियां प्रदेश में एफडीआर तकनीक पर काम करती नजर आएंगी। विभाग ने एफडीआर के काम को 61 प्रोजेक्ट में बांट दिया है। 462 करोड़ 44 लाख रुपए के इस पूरे प्रोजेक्ट के विभाग 15 टेंडर करेगा। फिलहाल एफडीआर तकनीक का सबसे बड़ा हिस्सा कांगड़ा जिला के हिस्से आया है।
यहां नूरपुर डिवीजन में 660 किलोमीटर के इस पैकेज में से 240 किलोमीटर सडक़ का निर्माण होगा। इसके लिए विभाग ने 248 करोड़ 87 लाख रुपए का बजट तय किया गया है। एफडीआर का दूसरा बड़ा प्रोजेक्ट मंडी के हिस्से आया है। 192 किलोमीटर लंबी पीएमजीएसवाई सडक़ को एफडीआर के अधीन लाया गया है। इस सडक़ की मरम्मत पर 195 करोड़ रुपए खर्च होने की संभावना है। अन्य जिलों की बात करें तो बिलासपुर में 69 किलोमीटर हिस्से पर 66 करोड़ 77 लाख रुपए, नाहन में 55 किलोमीटर हिस्से पर 50 करोड़ रुपए, कुल्लू में 46 किलोमीटर हिस्से पर 44 करोड़ रुपए और पालमपुर में करीब सवा सात किलोमीटर के हिस्से पर छह करोड़ 93 लाख रुपए खर्च किए जाएंगे। पीडब्ल्यूडी ने पीएमजीएसवाई में एफडीआर तकनीक को आजमाने की पूरी तैयारी कर ली है।