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नाहन। जिला सिरमौर के धौलाकुआं स्थित कृषि अनुसंधान केंद्र ने एग्रीकल्चर वेस्ट से किसानों और बेरोजगारों के लिए रोजगार व अतिरिक्त आय का जरिया खोज लिया है। एग्रीकल्चर वेस्ट से न केवल आकर्षक डेकोरेटिव आइटम तैयार होंगे, अपितु किसानों की आय में भी इजाफा होगा। स्पष्ट तौर पर आम के आम गुठलियों के भी होंगे दाम। इस कहावत पर क्षेत्रीय बागबानी अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र धौलाकुआं अब खरा उतरा है। यही नहीं किसान अब अगरबत्ती व गुलकंद आदि ऑर्गेनिक प्रोडक्ट बनाकर लघु उद्योग भी लगा सकेंगे। एग्रीकल्चर वेस्ट को बहु-उपयोगी बनाने के लिए नौणी यूनिवर्सिटी के छात्रों का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। गौर हो कि एग्रीकल्चर वेस्ट से बनाए जाने वाले डेकोरेटिव आइटम्स का देश में 500 करोड़ से अधिक का बिजनेस है।
एग्रीकल्चर वेस्ट के अंतर्गत मक्की के बाल, पेड़ों से खुद झडऩे वाले फूल, पत्ते, फल, पौधे इको ड्राइफॉर्म, एयर ड्राई, प्रेस ड्राई, सिलिका जैल, बोराइड प्रक्रिया तथा माइक्रोवेव ओवन आदि के माध्यम से इनका निर्जलीकरण किया जाता है। निर्जलीकरण किए जाने के बाद इनका लाइफ शैल कई वर्षों तक कायम रहता है। अब इन सबको प्रोसेस करने के बाद इनके डेकोरेटिव आइटम तैयार किए जाते हैं जिन्हें घरों, बिजनेस हाउस, बड़े-बड़े होटल्स, दफ्तर म्यूजियम सहित स्कूलों की प्रयोगशाला में सजावटी तौर पर रखा जाता है। बड़ी बात तो यह है कि इन मॉडल को घर में सजाने से पॉजिटिविटी का अहसास भी होता है और प्रकृति का घर की चार दिवारी में नजदीकी से अनुभव भी होता है। धौलाकुआं केंद्र के पुष्प एवं स्थल सौंदर्यकरण विभाग की वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. प्रियंका के अथक प्रयासों से अब यह प्रोजेक्ट मूर्त रूप ले चुका है। प्रदेश के किसान व बेरोजगार युवा धौलाकुआं केंद्र से एग्रीकल्चर वेस्ट मटेरियल को प्रोसेस करने के लिए ट्रेनिंग भी ले सकते हैं। बड़ी बात तो यह है कि एग्रीकल्चर वेस्ट से तैयार होने वाले डेकोरेटिव आइटम की बाजार में भी काफी डिमांड है।
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