हरियाणा के 1991 बैच के आईएएस अधिकारी खेमका का बार-बार ट्रांसफर किए जाने को लेकर जुड़ा विवाद तो मीडिया की सुर्खियों में रहा है. ईमानदार छवि के इस आइएएस अधिकारी का अपने सर्विस पीरियड में 52 से अधिक बार तबादला हो चुका है और इस पर उन्होंने अपना दर्द भी साझा किया था. इसी तरह का मामला बिहार में भी सामने आया जब मुंगेर रेंज के डीआईजी रहे मोहम्मद शफीउल हक ने तबादला किए जाने के बाद अपने विदाई समारोह में भावुक होते हुए अपनी पीड़ा का इजहार किया. नम आंखों से अपना दर्द बयां करते हुए उन्होंने कहा कि 27 साल की नौकीर में 21 बार ट्रांसफर हो चुका है क्योंकि उनका कोई गॉडफादर नहीं है.
अपने सम्मान में सोमवार को आयोजित विदाई समारोह में बोलते हुए उन्होंने बार-बार ट्रांसफर होने पर नाराजगी जाहिर की. अपने संबोधन में मोहम्मद शफीउल हक ने कहा कि वे अच्छे मूड में नहीं जा रहे. उन्होंने भावुक होते हुए कहा, मेरा कोई वाया नहीं है, मेरा कोई रिलेशन नहीं है. मेरा कोई गॉडफादर नहीं है. 27 साल की नौकरी में 21 बार तबादला हो चुका है. हमलोग जनता के नौकर हैं और जनता की सेवा करना हमारा काम है. मेरा कोई गॉडफादर नहीं है. मैं जहां भी जाता हूं काम करने के लिए जाता हूं.
पुलिस विभाग की ओर से आयोजित विदाई समारोह में डीआइजी ने कहा कि ट्रांसफर-पोस्टिंग तो नौकरी में लगी ही रहती है, लेकिन काम करने का मौका मिलना चाहिए. काफी कम समय में उन्होंने मुंगेर में अनेक मामलों में लोगों को न्याय दिलाने का काम किया. वास्तव में एक पुलिस पदाधिकारी की नजर शेर की तरह होनी चाहिए. जो दिख जाय उसे छोड़ा नहीं जाय. पुलिस जनता के लिए काम करती है जनता का नौकर है.