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फर्जी रजिस्ट्रार कार्यालय का भंडाफोड़, तीन साल से हो रही फर्जी रजिस्ट्री
मुरैना। शहर में फर्जी रजिस्ट्रार कार्यालय पकड़ा गया है, जहां तीन साल से जमीनों की फर्जी रजिस्ट्रियां की जा रही थीं। मौके पर 40 फर्जी रजिस्ट्रियां, दर्जनों सीलों के अलावा रजिस्ट्रार कार्यालय के दो रजिस्टर भी मिले हैं, जिनमें नौ साल पुरानी रजिस्ट्रियों का रिकार्ड है। पुलिस ने मुख्य आरोपित संजू कुलश्रेष्ठ के एक साथी …
मुरैना। शहर में फर्जी रजिस्ट्रार कार्यालय पकड़ा गया है, जहां तीन साल से जमीनों की फर्जी रजिस्ट्रियां की जा रही थीं। मौके पर 40 फर्जी रजिस्ट्रियां, दर्जनों सीलों के अलावा रजिस्ट्रार कार्यालय के दो रजिस्टर भी मिले हैं, जिनमें नौ साल पुरानी रजिस्ट्रियों का रिकार्ड है। पुलिस ने मुख्य आरोपित संजू कुलश्रेष्ठ के एक साथी भूपेंद्र पुत्र वीरेंद्र सिंह भदौरिया के अलावा, आनंद शर्मा पुत्र सरमन लाल निवासी गोपालपुरा मुरैना, विकास पुत्र सिरोमन भदौरिया निवासी इंदौर, शैलेंद्र पुत्र देवेंद्र सेंगर निवासी उरई उप्र को पकड़ा है। भूपेंद्र सिंह भदौरिया उस मकान का मालिक है, जहां फर्जी रजिस्ट्री का कारोबार चल रहा था और यह मास्टरमाइंड संजू कुलश्रेष्ठ का पार्टनर भी है।
दरअसल, मुरैना तहसील में बीते कुछ माह से नामांतरण के लिए फर्जी रजिस्ट्रियां पहुंचने के मामले सामने आ रहे थे। बीते माह फर्जी रजिस्ट्री के आधार पर तहसीलदार कुलदीप दुबे ने एक जमीन का नामांतरण भी कर दिया। शिकायत और जांच के बाद नामांतरण को रद कर दिया गया, इसके बाद फर्जी रजिस्ट्री करने वालों की तलाश में प्रशासन की टीमें जुट गई। गुरुवार की दोपहर तहसीलदार कुलदीप दुबे ने शहर के सभी हल्का पटवारियों व कोतवाली पुलिस टीम को साथ लेकर गोपालपुरा की दीक्षित गली में एक घर में दबिश दी। मकान के एक हिस्से में फर्जी रजिस्ट्रार कार्यालय चलता मिला। मौके पर 40 फर्जी रजिस्ट्रियां, रजिस्ट्रार कार्यालय के अधिकारी-कर्मचारी व शाखाओं के नाम की 25 से ज्यादा सीलें, टाइप राइटर, कई आधार कार्ड, वोटर कार्ड, स्टांप व रजिस्ट्री में उपयोग होने वाले कई तरह के फर्जी दस्तावेज पकड़े हैं। मास्टरमाइंड लक्ष्मी नारायण उर्फ संजू कुलश्रेष्ठ मौके से भागने में सफल हो गया। फर्जी रजिस्ट्री करने का यह धंधा तीन साल से चल रहा है, इनके यहां रजिस्ट्री कराने वाले भी भू-माफिया या उनके नजदीकी होते थे।
अवैध धंधे में रजिस्ट्रार कार्यालय के कर्मचारियों के शामिल होने का शक है क्योंकि अरोपितों के यहां से रजिस्ट्रार कार्यालय की एक अंगूठ चिन्ह पंजी मिली हैं, जिसमें साल 2014 में जमीन की रजिस्ट्री कराने वालों के नाम, पते व उनके अंगूठों के निशान (फिंगर प्रिंट) हैं। इस रजिस्टर पर उप पंजीयक कार्यालय मुरैना लिखा हुआ है। इसके अलावा साल 2014 का रजिस्ट्री ग्रंथ भी मिला है, जिसमें साल 2014 में हुई सभी रजिस्ट्रियों की जानकारी दर्ज है। रजिस्ट्री गुम होने पर रजिस्ट्री ग्रंथ के रिकार्ड से ही रजिस्ट्रार कार्यालय से दूसरी रजिस्ट्री निकलती है। रजिस्ट्रार कार्यालय के यह रजिस्टर किसी अधिकारी-कर्मचारी की साठगांठ से ही फर्जी रजिस्ट्री करने वालों के पास आए हैं। अरोपित असली स्टांप व उन्हीं कागजों का इस्तेमाल करते थे, जो रजिस्ट्रार कार्यालय में उपयोग होते थे। लिखा-पढ़ी व सील भी उसी तरह लगाई जाती थी।