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कोरोना की दूसरी लहर के चलते इस बार भी जम्मू कश्मीर में माता खीर भवानी के जन्मदिन पर तुलमुला में लगने वाले वार्षिक मेले का आयोजन स्थगित रखा गया
कोरोना की दूसरी लहर के चलते इस बार भी जम्मू कश्मीर में माता खीर भवानी के जन्मदिन पर तुलमुला में लगने वाले वार्षिक मेले का आयोजन स्थगित रखा गया. हालांकि इसके बावजूद भी सैकड़ों की संख्या में भक्त आज मंदिर में पूजा के लिए पहुंचे. खीर भवानी मंदिर प्रशासन के अनुसार गांदरबल जिला प्रशासन ने उनको कोरोना नियमों के साथ पूजा करने की अनुमति दी थी. उसी हिसाब से उत्सव की तैयारी भी की गयी थी लेकिन बड़ी संख्या में भक्तो के आने से मंदिर प्रशासन भी चौंक गया.
खीर भवानी अस्थापन ट्रस्ट के प्रमुख महाराज कृष्ण योगी के अनुसार उनके सभी कर्मचारी पूरे मंदिर परिसर में आने वाले भक्तों को कोविड नियमों के पालन करने हेतु जानकारी देने में जुटे हैं. हालांकि इतनी बड़ी संख्या में भक्तों के आने से कोरोना नियमों के पालन में थोड़ी बहुत लापरवाही हो रही है लेकिन आस्था के आगे कोरोना हार गया है और ऐसा लगता है कि माता के परिसर में कोरोना खत्म हो चुका है.
श्रीनगर से 35 किलोमीटर दूर गांदरबल जिले के तुलमुला गांव में स्थित मां भवानी के मंदिर में आज भले ही पहले जैसे मेले की रौनक नहीं थी लेकिन कोरोना काल में इतनी बड़ी संख्या में लोगों के एक जगह जमा होने से अलग ही नजारा बन गया. सरकार के मेले को स्थगित करने के फैसले से स्थानीय मुस्लिम खासे दुखी हैं. तुलमुला के जावेद इकबाल के अनुसार उनको उम्मीद थी कि मेले को लेकर शायद सरकार इजाजत देगी लेकिन ऐसा नहीं हो सका. पिछले साल भी करीब दो लाख भक्तों ने इस मंदिर में आकर दर्शन किए थे और पूजा की थी.
जल स्वरूप की पूजा
दरअसल, कश्मीरी हिंदुओं में मां भवानी को कुल देवी माना जाता है और उनका यह मंदिर जिसे खीर भवानी के नाम से जाना जाता है, यहां पर मां भवानी के जल स्वरूप की पूजा होती है. मान्यता है कि जल का रंग अगर काला या लाल हो तो प्रलय या खूनखराबा हो सकता है और अगर हरा, सफेद या नीला हो तो अच्छा समय होगा. मंदिर के पुजारी कमल गंजू के अनुसार जलकुंड का रंग हरा और साफ है. इसका मतलब यह है कि आने वाले दिनों में सब अच्छा होगा और उम्मीद है कि कश्मीर के साथ-साथ पूरे देश और दुनिया से कोरोना खत्म होगा.
वहीं कुछ लोगों के लिए खीर भवानी के मंदिर आना, कश्मीर में बदले हालात की निशानी बनकर आया है. पंजाब के अमृतसर से बीजेपी के एक 90 साल के कार्यकर्ता सतपाल महाजन अपने परिवार के साथ माता के परिसर पहुंचे. उन्होंने कहा, 'मैं आज से 50 साल पहले यहां आया था और उसके बाद घाटी में बिगड़े हालात के चलते कभी नहीं आ सका, लेकिन इस बार सब कुछ ठीक है और इसलिए में अपने पूरे परिवार के साथ यहां माता का आशीर्वाद लेने आया हूं.'
खीर भवानी के मेले की खास बात यह है कि कश्मीर में 90 के दशक में हालात के खराब होने के बाद भी यहां हमेशा मेला लगता रहा है और देश भर से आए कश्मीरी पंडितों के लिए कश्मीर से उनके जुड़े होने का सबसे बड़ा कारण भी रहा.
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