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Mcleodganj. मकलोडगंज। तिब्बती धर्मगुरु 14वें दलाईलामा के बड़े भाई ग्यालो थोंडुप का निधन 97 वर्ष की आयु में शनिवार को पश्चिम बंगाल के कलिंपोंग स्थित उनके निवास पर हो गया। ग्यालो थोंडुप का जीवन तिब्बती संस्कृति और धर्म के संरक्षण में समर्पित रहा और उनका योगदान आधुनिक तिब्बती इतिहास में अहम माना जाता है। ग्यालो थोंडुप के निधन से न केवल तिब्बती समाज, बल्कि पूरे बौद्ध समुदाय में एक अपूरणीय क्षति हुई है। उनके अनुयायी मानते हैं कि उनका योगदान आने वाली पीढिय़ों के लिए एक अमूल्य धरोहर रहेगा।
ग्यालो थोंडुप का जन्म पांच नवंबर, 1928 को हुआ था और उनका जीवन दलाईलामा के अनौपचारिक दूत के रूप में भी महत्त्वपूर्ण रहा। उन्होंने हमेशा तिब्बती संस्कृति और धर्म के उत्थान के लिए काम किया। दलाईलामा के प्रति उनका समर्पण और निष्ठा अविस्मरणीय थी। उनका जीवन ज्ञान, करुणा और सहनशीलता का प्रतीक माना जाता था, जो उन्हें तिब्बती समाज में एक प्रेरणास्त्रोत बनाता था। इस बीच, दलाईलामा इन दिनों कर्नाटक के दौरे पर हैं। वे तीन जनवरी को धर्मशाला से कर्नाटक के बायलकुप्पे पहुंचे थे और अब वहां पर अपने धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यों में व्यस्त हैं।
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Shantanu Roy
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