जम्मू-कश्मीर में इससे पहले 10 फरवरी को भूकंप के झटके महसूस हुए थे. रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 3.8 मापी गई थी. नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (NCS) ने इसकी जानकारी दी थी. अधिकारियों ने बताया था कि भूकंप का केंद्र केल, गिलगित-बाल्टिस्तान में 29 किलोमीटर की गहराई में था. वहीं, इससे पहले यानी 5 फरवरी को भी जम्मू-कश्मीर सहित घाटी के कई इलाकों में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए थे. इसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 5.7 मापी गई थी.
धरती चार लेयर से बनी होती है. इनर कोर, आउटर कोर, मैन्टल और क्रस्ट कोर. क्रस्ट और ऊपरी मैन्टल कोर को लिथोस्फेयर के नाम से जाना जाता है. ये 50 किलोमीटर की मोटी परत कई वर्गों में बंटी हुई है. इसे टैकटोनिक प्लेट्स कहा जाता है. ये टैकटोनिक प्लेट्स अपनी जगह पर हिलती-डुलती रहती हैं. जब ये प्लेट बहुत ज्यादा हिलने लगती है तो उसे भूकंप कहते हैं. ये प्लेट क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर दोनों ही तरह से अपनी जगह से हिल सकती हैं.