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Jawali. जवाली। बरसात के मौसम में भी सूखे जैसे माहौल है तथा जमीन भी पानी को तरस रही है। किसानों द्वारा बीजी गई मक्की, बाजरा, चरी, धान की फसलें खेतों में सूख रही हैं जिससे किसानों के चेहरों से रौनक गायब हो गई है। किसानों ने कहा कि पहले बारिश देरी से हुई जिस कारण मक्की की फसल बीजने में देरी हो गई और देरी से बारिश होने पर मक्की की फसल बीज दी तो अब बारिश न होने के कारण फसल सूखनी शुरू हो गई है। किसानों ने थक हार कर अब मक्की की गुढ़ाई करनी भी बंद कर दी है। किसानों का कहना है कि पहली मर्तबा ऐसा हुआ है कि बरसात में भी सूखे जैसी स्थिति बनी हुई है। गर्मी भी काफी ज्यादा है तथा तापमान 40 से 44 डिग्री के बीच रिकॉर्ड किया जा रहा है। किसानों ने कहा कि रोज पहले मौसम विभाग का अनुमान देखते हैं।
जिससे बारिश होने की उम्मीद जगती है परंतु मौसम विभाग का आंकलन भी सटीक नहीं बैठता। किसानों ने कहा कि अगर एक-दो दिन में बारिश न हुई तो मक्की की फसल का नामोनिशान तक मिट जाएगा। किसानों ने कहा कि मौसम की बेरुखी व बंदरों,जंगली जानवरों सहित बेसहारा पशुओं के कारण किसानों को खेती बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। पहले महंगे दाम पर बीज खरीद करते हैं फिर महंगे दाम चुकाकर ट्रैक्टरों से बुआई करवाते हैं। महंगी खाद इत्यादि डालते हैं फिर कटाई करवाते हैं। बंदरों, जंगली जानवरों व बेसहारा पशुओं से दिन-रात पहरा करके फसल को बचाते हैं और अंत में फसल की एवरेज जीरो निकलती है। किसानों को बैंक का कर्ज तक भरना मुश्किल हो जाता है। किसानों को पशुओं के चारे की भी चिंता सतानी शुरू हो गई है।
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