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मंकीपॉक्स का खतरा! ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी का ऐलान, जानें क्या है वजह?

jantaserishta.com
24 July 2022 7:14 AM GMT
मंकीपॉक्स का खतरा! ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी का ऐलान, जानें क्या है वजह?
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न्यूज़ क्रेडिट: आजतक

नई दिल्ली: दुनियाभर में तेजी से फैल रहे monkeypox को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी की घोषणा कर दी है. WHO के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयसस ने कहा कि monkeypox का प्रकोप अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता करने वाला है. डॉ. टेड्रोस ने कहा कि फिलहाल मंकीपॉक्स का यह प्रकोप उन पुरुषों पर केंद्रित है, जो पुरुषों के साथ संबंध रखते हैं, खासकर उन लोगों के साथ जिनके कई यौन साथी हैं.

WHO चीफ के मुताबिक, यह एक ऐसा प्रकोप है जिसे सही रणनीतियों के साथ रोका जा सकता है. इस दौरान उन्होंने कहा कि कलंक और भेदभाव किसी भी वायरस जितना ही खतरनाक हो सकता है. इसलिए मैं सामाजिक संगठनों से अपील कर रहा हूं, जिन्हें एचआईवी से पीड़ित लोगों के साथ काम करने का अनुभव है, वो इस मंकीपॉक्स के प्रकोप से जुड़े कलंक और भेदभाव से लड़ने के लिए हमारे साथ काम करें.
वहीं WHO की साउथ-ईस्ट एशिया की रीजनल डायरेक्टर ने कहा है कि monkeypox के मामले पुरुषों के साथ संबंध बनाने पुरुषों पर केंद्रित हैं. क्षेत्रीय निदेशक डॉ. पूनम खेत्रपाल सिंह ने कहा कि मंकीपॉक्स तेजी से उन देशों में फैल रहा है, जहां इससे पहले कोई भी केस नहीं मिला था. बीमारी के ज्यादातर मामले पुरुषों के साथ संबंध रखने वाले पुरुषों पर केंद्रित हैं. हमारे उपाय संवेदनशील, कलंक या भेदभाव से रहित होने चाहिए. WHO ने आज दक्षिण-पूर्वी एशिया क्षेत्र के देशों से मंकीपॉक्स के लिए निगरानी और सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों को मजबूत करने का आह्वान किया.
डॉ खेत्रपाल सिंह ने कहा, "वैश्विक स्तर पर मंकीपॉक्स का जोखिम है और इसके इंटरनेशनल प्रसार की संभावना है. इसके अलावा वायरस के बारे में अभी भी कई चीजें हमें पता नहीं हैं. हमें सतर्क रहने की जरूरत है."
उन्होंने बताया कि 75 देशों में मंकीपॉक्स के 16000 से अधिक मामले सामने आए हैं. डब्ल्यूएचओ दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में मंकीपॉक्स के 5 मामले सामने आए हैं, जिनमें से 4 भारत से और एक थाईलैंड से है. भारत में मामले उन नागरिकों में हैं जो मध्य पूर्व से लौटकर आए हैं. हालांकि इनमें से एक मरीज की कोई ट्रैवल हिस्ट्री नहीं है. जबकि थाईलैंड में रहने वाले एक विदेशी व्यक्ति मंकीपॉक्स से संक्रमित पाया गया है.
एक महीने पहले 47 देशों में monkeypox के 3040 केस थे. इसका पांच देशों में सबसे ज्यादा प्रकोप फैला हुआ है. स्पेन में सबसे ज्यादा 3125 लोग इसकी चपेट में हैं. इसके बाद अमेरिका में 2890, जर्मनी में 2268, ब्रिटेन में 2208 और फ्रांस में 1567 केस अब तक सामने आ चुके हैं.
CDC के मुताबिक नीदरलैंड्स में 712, कनाडा में 681, ब्राजील में 592, पुर्तगाल में 588, इटली में 407, बेल्जियम में 311, स्विटजरलैंड में 216, पेरू में 143, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो में 107, इजराइल में 105 और नाइजीरिया में 101 मंकीपॉक्स के केस सामने आ चुके हैं. हालांकि भारत में अभी इसके तीन मामले केरल में ही सामने आए हैं.
CDC के मुताबिक, दुनियाभर में अब तक मंकीपॉक्स के 16,836 मामले सामने आ चुके हैं. इनमें से 16,593 केस उन देशों में सामने आए, जहां पहले कभी मंकीपॉक्स के केस नहीं आए थे. केवल 243 केस उन देशों में समाने आए जहां मंकीपॉक्स की हिस्ट्री रही है. ये केस अब तक 75 देशों में सामने आए हैं. इनमें 68 ऐसे देश हैं, जिनमें पहली बार मंकीपॉक्स के केस मिले हैं जबकि सिर्फ छह देश ऐसे हैं, जहां पहले भी मंकी पॉक्स के केस मिल चुके हैं.
CNN की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका में लोगों को मंकीपॉक्स से बचाने के लिए Jynneos वैक्सीन की दो खुराक दी जाएगी. CDC के मुताबिक, 15 लाख लोग इस वैक्सील के लिए एलिजिबल हैं. हालांकि सरकार 3 लाख से ज्यादा मंकीपॉक्स वैक्सीन्स को लोगों तक पहुंचा चुकी है. जल्द ही यह वैक्सीन लोगों को लगाई जाएगी.
WHO के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि इमरजेंसी कमेटी ने स्वीकार किया कि मंकीपॉक्स प्रकोप के कई पहलू 'असामान्य' हैं. इसके खतरों पर वर्षों से गौर नहीं किया गया है. उन्होंने बताया कि monkeypox वायरस कई देशों में तेजी से फैल गया है, जिन्होंने इसे पहले नहीं देखा है.
क्या है मंकीपॉक्स?
- अमेरिका के सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल (CDC) के मुताबिक, पहली बार ये बीमारी 1958 में सामने आई थी. तब रिसर्च के लिए रखे गए बंदरों में ये संक्रमण मिला था. इसलिए इसका नाम मंकीपॉक्स रखा गया है. इन बंदरों में चेचक जैसी बीमारी के लक्षण दिखे थे.
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, इंसानों में मंकीपॉक्स का पहला मामला 1970 में सामने आया था. तब कॉन्गो के रहने वाले एक 9 साल के बच्चे में ये संक्रमण मिला था. 1970 के बाद 11 अफ्रीकी देशों में इंसानों के मंकीपॉक्स से संक्रमित होने के मामले सामने आए थे.
- दुनिया में मंकीपॉक्स का संक्रमण अफ्रीका से फैला है. 2003 में अमेरिका में मंकीपॉक्स के मामले सामने आए थे. सितंबर 2018 में इजरायल और ब्रिटेन में मंकीपॉक्स के मामले सामने आए थे. मई 2019 में सिंगापुर में भी नाइजीरिया की यात्रा कर लौटे लोगों में मंकीपॉक्स की पुष्टि हुई थी.
- मंकीपॉक्स को लेकर इंग्लैंड की एजेंसी यूके हेल्थ सिक्योरिटी एजेंसी (UKHSA) ने कहा है कि अब मंकीपॉक्स का वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में ट्रांसफर होने लगा है.
क्या हैं मंकीपॉक्स के लक्षण?
- मंकीपॉक्स वायरस का इन्क्यूबेशन पीरियड 6 से 13 दिन तक होता है. कई बार 5 से 21 दिन तक का भी हो सकता है. इन्क्यूबेशन पीरियड का मतलब ये होता है कि संक्रमित होने के बाद लक्षण दिखने में कितने दिन लगे.
- संक्रमित होने के पांच दिन के भीतर बुखार, तेज सिरदर्द, सूजन, पीठ दर्द, मांसपेशियों में दर्द और थकान जैसे लक्षण दिखते हैं. मंकीपॉक्स शुरुआत में चिकनपॉक्स, खसरा या चेचक जैसा दिखता है.
- बुखार होने के एक से तीन दिन बाद त्वचा पर इसका असर दिखना शुरू होता है. शरीर पर दाने निकल आते हैं. हाथ-पैर, हथेलियों, पैरों के तलवों और चेहरे पर छोटे-छोटे दाने निकल आते हैं. ये दाने घाव जैसे दिखते हैं और खुद सूखकर गिर जाते हैं.
- शरीर पर उठने वाले इन दानों की संख्या कुछ से लेकर हजारों तक हो सकती है. अगर संक्रमण गंभीर हो जाता है तो ये दाने तब तक ठीक नहीं होते, जब तक त्वचा ढीली न हो जाए.
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