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आ गई कोरोना वायरस की दवा Molnupiravir, जानिए इसके बारे में सबकुछ

Renuka Sahu
6 Nov 2021 5:33 AM GMT
आ गई कोरोना वायरस की दवा Molnupiravir, जानिए इसके बारे में सबकुछ
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फाइल फोटो 

दुनिया में कोरोना महामारी से अब तक 50 लाख से अधिक लोगों की जान जा चुकी है, लेकिन अभी भी इस महामारी के खात्मे का कोई समय नहीं दिख रहा है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। दुनिया में कोरोना महामारी से अब तक 50 लाख से अधिक लोगों की जान जा चुकी है, लेकिन अभी भी इस महामारी के खात्मे का कोई समय नहीं दिख रहा है. अभी तक इससे बचाव के लिए टीके को सबसे कारगर उपाय माना जा रहा है. लेकिन लगातार कोरोना के वायरस के नए वैरिएंट के आने से इसके 100 फीसदी कारगर साबित होने का कोई दावा नहीं कर सकता. ऐसे में वैक्सीन लगाने के वाबजूद भी लोगों को कोरोना हो सकता है. यह तथ्य है. इस बीच गोली के आने से इस जंग को और धार मिलने की उम्मीद है. मरीज को पांच दिनों तक शाम-सुबह एक-एक गोली लेनी की जरूरत पड़ेगी.

कंपनी का दावा
मर्क (Merk) कंपनी का दावा है कि यह कोरोना से लड़ने में कारगर उपलब्ध पहली गोली है. मर्क ने अमेरिकी कंपनी ने इस दवा के विकास के लिए अमेरिका की Ridgeback Biotherapeutics कंपनी के साथ साझेदारी की है. कंपनी का दावा है कि इस गोली के तीसरे फेज के ट्रायल में पाया गया कि इसने मरीजों के अस्पतालों में भर्ती होने या मौत की जोखिम को काफी हद तक कम कर दिया.
ट्रायल में 775 लोगों को शामिल किया गया
कंपनी ने कहा है कि ट्रायल में 775 लोगों को शामिल किया गया. प्राथमिक आंकड़ों के मुताबिक जिन मरीजों ने कोविड-19 के संक्रमण लगने के 5 दिनों के भीतर इस दवा को ले ली उनमें अस्पताल में भर्ती होने और मौत होने का जोखिम 50 फीसदी तक कम हो गया.
कंपनी ने ट्रॉयल के बारे में विस्तार से बताया
कंपनी ने ट्रॉयल की विस्तार जानकारी दी कि molnupiravir लेने वाले केवल 7.3 फीसदी मरीजों को या तो अस्पलात में भर्ती करवाना पड़ा या उनकी मौत हुई, जबकि उन कोरोना मरीजों में यह दर 14.1 फीसदी थी जिनको डमी गोली दी गई. इसके साथ ही कंपनी ने कहा है कि molnupiravir का सेवन करने वाले मरीजों में से किसी की मौत नहीं हुई जबकि जिन मरीजों की इसकी डमी लोगी दी गई थी उनमें 8 की मौत हो गई.
कैसे काम करती है यह गोली (How Does Molnupiravir Works)
यह दवा हमारे शरीर की आरएनए मैकेनिज्म की गड़बड़ियों को ठीक करती है. इसी आरएनए मैकेनिज्म की वजह से वायरस हमारे शरीर में प्रवेश करने के बाद अपने-आप बढ़ते जाता है. इस तरह यह गोली शरीर में वायरस की संख्या बढ़ने से रोक देती है. इस तरह जब शरीर में वायरस की संख्या कम रह जाती है तो ऐसी स्थिति में इंसान इससे गंभीर रूप से बीमार होने से बच जाता है. ऐसा इंग्लैंड की ड्रग नियामक संस्था का कहना है.
कंपनी का कहना है कि प्री-क्लिनिकल और क्लिनिकल डाटा से पता चलता है कि molnupiravir सबसे कॉमन सार्स-सीओवी-2 वैरिएंट जैसे डेल्टा के खिलाफ भी पूरी तरह से कारगर है. यह वैरिएंट सबसे पहले भारत में पाया गया था.
इसे Lagevrio के नाम से भी जाना जाता है
इंग्लैंड की ड्रग्स नियामक संस्था का कहना है कि इस गोली को Lagevrio के नाम से भी जाना जाता है. इसे कोविड-19 संक्रमण लगने के तुरंत बाद इस्तेमाल किया जाना चाहिए. उसने अपने देश में कोरोना से संक्रमित होने वाले लोगों में इसके इस्तेमाल की मंजूरी दी है.
मधुमेह और दिल की बीमारी वाले मरीजों पर भी कारगर
इंग्लैंड की ड्रग नियामक संस्था ने यह कहा है कि यह गोली मधुमेह, दिल की बीमारी, मोटापे आदि बीमारियों से ग्रसित मरीजों के कोरोना संक्रमित होने पर उन्हें भी दी जा सकत है. इसका कोई ऐसी बीमारियों से ग्रसित लोगों में खास साइड इफेक्ट नहीं है.
भारत में कब मिलेगी यह दवा
भारत में इस दवा के इस्तेमाल को लेकर यहां की ड्रग्स नियामक संस्था ने अभी तक कोई फैसला नहीं लिया है. ऐसे में भारत में फिलहाल इसका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है. कंपनी का कहना है कि वह इस गोली का उत्पादन व्यापक स्तर पर कर रही है और इस साल के अंत तक वह इसकी एक करोड़ खुराक बनाने जा रही है. उनसे पहले ही अमेरिका से इस गोली की 17 लाख खुराक के लिए समझौता कर लिया है.


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