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कोरोना मरीजों का इलाज मलेरिया के साथ हो सकता है जानलेवा, IIT इंदौर ने दी चेतावनी
Deepa Sahu
13 May 2021 9:41 AM GMT
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मलेरिया से पीडि़त किसी मरीज को यदि कोरोना का उपचार दिया गया।
इंदौर, मलेरिया से पीडि़त किसी मरीज को यदि कोरोना का उपचार दिया गया तो उसकी जान जा सकती है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) इंदौर ने कोरोना के साथ मलेरिया पीडि़त मरीजों के समूह पर किए अध्ययन के आधार पर यह कहा है। अध्ययन में देखा गया कि मलेरिया से पीडि़त व्यक्ति को यदि कोरोना के उपचार में काम आ रहे स्टेरायड की खुराक दी जाती है तो मरीज में गंभीर न्यूरोलाजिकल साइड इफेक्ट पैदा होते हैं। इससे मरीज की जान जा सकती है।
आइआइटी इंदौर ने मलेरिया के परजीवी प्लास्मोडियम फाल्सीपेरम और सार्स कोविड वायरस, दोनों ही संक्रमणों से एक साथ प्रभावित मरीजों पर अध्ययन किया। अध्ययन आइआइटी इंदौर में इंफेक्शन बायोइंजीनियरिंग ग्रुप के प्रमुख डा. हेम चंद्र झा, छात्र ओमकार इंदारी और बुद्धदेव बराल के साथ ही कलिंगा इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंस (केआइएमएस) ओडिशा के प्रोफेसर निर्मल कुमार मोहाकुड की टीम ने मिलकर किया है। डा. झा के अनुसार कोरोना महामारी के बीच लोग मलेरिया के भी शिकार हुए हैं।
आने वाले बरसात के मौसम में मलेरिया के मामले और बढ़ेंगे। ऐसे में यदि लक्षण के आधार पर मलेरिया के मरीज को कोरोना का उपचार दे दिया गया तो ऐसे मरीजों की जान बचाना मुश्किल हो जाएगा। झा के अनुसार मलेरिया और कोरोना दोनों में बुखार, शरीर में दर्द, सांस लेने में कठिनाई जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। कोरोना उपचार में व्यापक रूप से उपयोग किए जाने वाले कार्टिकोस्टेराइड-डेक्सामेथासोन ने मलेरिया के खिलाफ बेहद बुरा असर डाला।
अध्ययन ये बताता है कि संक्रमित हालत में बहुत कम समय में स्वास्थ्य की स्थिति बिगड़ सकती है। स्टेरायड देने पर असामान्य न्यूरोलाजिकल लक्षणों के विकास को देखा गया। न्यूरोलाजिकल लक्षणों जैसे कि परिवर्तित चेतना, कोमा आदि को विकसित कर सकता है, जो घातक हो सकता है। अध्ययन के आधार पर सुझाव दिया गया है कि कोरोना के लक्षणों के नजर आने पर मलेरिया की जांच भी कराई जानी चाहिए।
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