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मध्य्रपदेश। मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के शपथ लेने के बाद आज शाम कैबिनेट की बैठक शुरु कर दी है। मंत्रिमंडल पर चर्चा शुरू हो गई है. इस बार जबलपुर समेत पूरे महाकौशल क्षेत्र को मंत्रिमंडल में पर्याप्त जगह देने की मांग उठने लगी है. जबलपुर में गैर राजनीतिक संगठनों ने मिलकर नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री को ईमेल के जरिए एक लेटर भेजा है, जिसमें मांग की गई है कि इस बार के मंत्रिमंडल में जबलपुर को पर्याप्त जगह दी जाए. यहां बताते चलें विधानसभा चुनाव के चौंकाने वाले परिणाम आने के बाद अब मंत्रिमंडल गठन को लेकर चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है.
जिस तरीके से मुख्यमंत्री का नाम सामने आया है. लोग कयास लगा रहे हैं कि मंत्रिमंडल का गठन भी इसी अंदाज में होगा. बड़े पदों पर विंध्य, मालवा और ग्वालियर-चंबल को महत्व मिलने के बाद लोगों का कहना है कि पिछले कई वर्षों से उपेक्षित जबलपुर जिले को पर्याप्त प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए. पिछले कार्यकाल में एक भी मंत्री पद जबलपुर जिले को नहीं मिला था. वहीं, कांग्रेस ने अपने 15 माह के शासनकाल में जबलपुर को दो कैबिनेट मंत्री दिए थे. जब दोबारा बीजेपी सरकार आई, तब भी यह मांग उठी थी कि शहर से मंत्री पद दिया जाए लेकिन पूरा कार्यकाल बीत जाने के बावजूद मंत्री पद की घोषणा नहीं की गई.
इस दौरान वरिष्ठ बीजेपी नेता और विधायक अजय विश्नोई लगातार मुखर रहे. अब नए मंत्रिमंडल का गठन होने वाला है तो फिर उम्मीद लगाई जा रही है कि इस बार जीते 7 विधायकों में से दो से तीन मंत्री जबलपुर से बनाए जाएं. इसके लिए कुछ विधायक अपने स्तर पर भोपाल से लेकर दिल्ली तक लॉबिंग भी कर रहे हैं. इसी तरह महाकौशल क्षेत्र से भी मंत्रिमंडल में पर्याप्त जगह देने की मांग उठ रही है. ताकि इस क्षेत्र की उपेक्षा न हो और विकास की गति में प्रदेश के साथ पूरा क्षेत्र चल सके.
महाकौशल क्षेत्र में बीजेपी का पलड़ा भारी रहा. महाकौशल क्षेत्र में अंतर्गत आने वाली 38 विधानसभा सीट में से बीजेपी ने 21 सीटें और कांग्रेस ने 17 सीट पर जीत हासिल की. पिछले विधानसभा चुनाव में जबकि कांग्रेस ने 24 सीट पर तथा बीजेपी ने 13 सीट पर जीत हासिल की थी. कहा जा रहा है कि इस बार सीटें बढ़ी है कि तो महत्व भी बढ़ाया जाये. वरिष्ठ पत्रकार रवींद्र दुबे कहते हैं कि सीएम शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) के पिछले कार्यकाल में जबलपुर समेत पूरे महाकौशल की राजनीतिक क्षेत्र में अनदेखी की गई थी. हालांकि,पिछले चुनाव में भी महाकौशल इलाके से बीजेपी को 13 सीटें मिली थी. इस बार भी जबलपुर की आठ विधानसभा क्षेत्र में से सात पर बीजेपी को जनता ने जीत दिलाई है. ऐसे में राजनीतिक संतुलन के लिए अब जरूरी हो गया है कि जबलपुर को भी पर्याप्त मंत्री दिए जाएं, ताकि जबलपुर के विकास को गति दी जा सके.
इसी बीच नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के नेतृत्व में कई सामाजिक संगठनों ने मध्य प्रदेश के नए मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव से अपील की है कि महाकौशल और जबलपुर को मंत्रिमंडल में पर्याप्त स्थान दिया जाए. नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के डॉक्टर पी जी पांडेय का कहना है कि जबलपुर की हमेशा से उपेक्षा की गई है. जबलपुर के नेताओं को कभी भी मंत्रिमंडल में बड़े विभाग नहीं मिले हैं, जिसकी वजह से जबलपुर में विकास की रफ्तार बहुत ही धीमी है. यहां की बात भी भोपाल तक नहीं पहुंच पाई. इसलिए इस बार के मंत्रिमंडल में जबलपुर के विधायकों को भी बड़े विभाग दिए जाएं.
वहीं, जबलपुर में कैबिनेट बैठक की भी मांग भी की जा रही है. सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि साल 2013 में जबलपुर के तमाम सामाजिक संगठनों ने मुख्यमंत्री से मिलकर कैबिनेट बैठक करने की मांग की थी जिस पर आश्वासन भी मिला था लेकिन कांग्रेस सरकार को छोड़कर बीजेपी सरकार ने आज तक जबलपुर में कैबिनेट बैठक नहीं की.