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बिना सवारी घूम रही बसें पड़ रही महंगी

Shantanu Roy
8 Sep 2023 11:03 AM GMT
बिना सवारी घूम रही बसें पड़ रही महंगी
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शिमला। एचआरटीसी को बिना सवारी के घूम रही बसे महंगी पड़ रही है। हर वर्ष एचआरटीसी को बसों की डेड माइलेज के कारण करोड़ों रुपए का घाटा उठाना पड़ रहा है। हाल ही में एचआरटीसी प्रबंधन की ओर से शिमला के तारादेवी, लोकल और शिमला ग्रामीण डिपो में 260 किलोमीटर की डेड माइलेज को समाप्त किया गया है। इससे एचआरटीसी को हर वर्ष करीब 20 से 22 लाख रुपए की बचत होगी। इन तीन डिपो के बाद अब एचआरटीसी प्रबंधन व सरकार पूरे प्रदेश में डेड माइलेज को समाप्त करने का प्रयास कर रही हैं, ताकि हर वर्ष हो रहे करोड़ों रुपए के घाटे को कम किया जा सके। डिप्टी सीएम मुकेश अग्रिहोत्री ने बताया कि प्रदेशभर में डेड माइलेज कम करने पर काम किया जाएगा। किसी रूट पर जा रही बस अंतिम सवारी को छोडक़र जब आती है, तो उसके बाद बस ड्राइवर-कंडक्टरों के रहने के स्थान पर बिना सवारी के जाती है। कई जगह ये स्थान काफी दूर हैं।
इसके अलावा कई जगहों पर ड्राइवर कंडक्टरों को डीजल भरवाने के लिए दूर तक जाना पड़ रहा है। इन बिना सवारी के चक्करों के कारण एचआरटीसी को प्रतिवर्ष करोड़ों रुपए का नुकसान उठाना पड़ रहा है। उन्होंने बताया एचआरटीसी डेड माइलेज को कम करने के लिए प्रयास कर रही है। इसके लिए पंचायत प्रधानों से भी बात की जाएगी कि जहां तक बस जाती है, वहीं पर ड्राइवर कंडक्टरों के रहने की व्यवस्था की जाए, ताकि एचआरटीसी ड्राइवर कंडक्टरों को रहने के लिए इधर-उधर न जाना पड़े। उन्होंने कहा कि एचआरटीसी माइलेज व अर्निंग दोनों को बढ़ाने के लिए प्रयास कर रहा है। इसमें एचआरटीसी को काफी हद तक सहायता भी मिली है। मॉनसून सीजन के दौरान एचआरटीसी को 50 करोड़ से ज्यादा का घाटा उठाना पड़ा है। इनमें से सिर्फ 30 करोड़ रुपए का घाटा बसें न चलने के कारण ही हुआ है। मॉनसून के कारण बंद पड़ी सडक़ों के कारण एचआरटीसी की कई सेवाएं प्रदेशभर में प्रभावित हुई हैं। इन सेवाओं के बंद होने के कारण एचआरअीसी को हर दिन लाखों रुपए का घाटा उठाना पड़ता है। प्रदेशभर में अभी भी 400 के करीब रूट ऐसे हैं, जो भारी बारिश के कारण बंद हो गए थे, लेकिन अभी तक बहाल नहीं हो पाए है।
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