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Solan. सोलन। विशिष्ट कीट प्रबंधन मुद्दों को संबोधित करने और अनुरूप समाधान विकसित करने के लिए अनुसंधान केंद्रों और कृषि-उद्योग के बीच सहयोग महत्वपूर्ण है। कृषि-उद्योग नए जैविक नियंत्रण उत्पादों को विकसित करने और परीक्षण करने के लिए फसल कीटों के जैविक नियंत्रण पर अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना केंद्रों के साथ मिलकर सहयोग कर सकते हैं। विभिन्न परिस्थितियों में उत्पादों की प्रभावशीलता और विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए ये परीक्षण कई स्थानों पर आयोजित किए जाने चाहिए।
डा. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी में जैविक नियंत्रण पर अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना की 33वीं वार्षिक समूह बैठक के दूसरे दिन उद्योग जगत के कई विशेषज्ञों, विभिन्न विश्वविद्यालयों और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के वैज्ञानिकों ने ये सुझाव दिए। बैठक का आयोजन विश्वविद्यालय के कीट विज्ञान विभाग द्वारा राष्ट्रीय कृषि कीट संसाधन ब्यूरो बेंगलुरु के सहयोग से किया गया। आईसीएआर के उप महानिदेशक (फसल विज्ञान) डा. टीआर शर्मा ने सत्र की अध्यक्षता की। अपने संबोधन में डा. शर्मा ने पुनर्योजी कृषि जैव नियंत्रण और जैव उर्वरकों के माध्यम से कृषि-रसायनों पर निर्भरता कम करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
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