UPSC एग्जाम दिलाने वालों के लिए बड़ी खबर, सरकारी की नई अधिसूचना आई
दिल्ली delhi news। केंद्र सरकार ने बुधवार को पहली बार संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) को पंजीकरण के समय तथा परीक्षाओं और भर्ती के विभिन्न चरणों के दौरान स्वैच्छिक आधार पर अभ्यर्थियों की पहचान सत्यापित करने के लिए आधार-आधारित प्रमाणीकरण की अनुमति दे दी है. यह कदम इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि आयोग ने पिछले महीने प्रोबेशनरी आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर की अनंतिम उम्मीदवारी रद्द कर दी थी. आयोग ने योग्यता से इतर, सिविल सेवा परीक्षा में धोखाधड़ी से प्रयास करने की वजह से खेडकर के भविष्य की सभी परीक्षाओं में शामिल होने पर रोक लगा दी थी. सरकार का यह कदम पूजा खेडकर के मामले से ही जोड़कर देखा जा रहा है. UPSC
खेडकर पर अन्य लोगों के अलावा दिव्यांगता और अन्य पिछड़ा वर्ग या ओबीसी (गैर-क्रीमी लेयर) कोटा का दुरुपयोग करने का भी आरोप लगाया गया है. कार्मिक मंत्रालय ने एक अधिसूचना में कहा कि यूपीएससी को ‘वन टाइम रजिस्ट्रेशन’ पोर्टल पर पंजीकरण के समय और परीक्षा/भर्ती परीक्षा के विभिन्न चरणों में अभ्यर्थियों की पहचान के सत्यापन के लिए स्वैच्छिक आधार पर आधार प्रमाणीकरण करने की अनुमति है, जिसके लिए हां/नहीं या/और ई-केवाईसी प्रमाणीकरण सुविधा का उपयोग किया जाएगा.’
अधिसूचना में कहा गया है कि आयोग आधार (वित्तीय और अन्य सब्सिडी, लाभ और सेवाओं का लक्षित वितरण) अधिनियम, 2016 के तहत बनाए गए नियमों और विनियमों और भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) द्वारा जारी निर्देशों के सभी प्रावधानों का पालन करेगा. आधार यूआईडीएआई द्वारा सभी पात्र नागरिकों को बायोमेट्रिक और जनसांख्यिकीय डेटा के आधार पर जारी किया जाने वाला 12 अंकों का नंबर है.
यूपीएससी ने जुलाई में खेडकर के खिलाफ कई कार्रवाई की थी, जिसमें फर्जी पहचान के जरिए सिविल सेवा परीक्षा में शामिल होने के लिए उनके खिलाफ जालसाजी का मामला दर्ज करना भी शामिल था. इसके बाद, दिल्ली पुलिस ने मामला दर्ज किया और अपनी जांच शुरू की.खेडकर को अनंतिम रूप से भारतीय प्रशासनिक सेवा (2023 बैच, महाराष्ट्र कैडर) आवंटित किया गया था. उन पर पुणे में अपने प्रशिक्षण के दौरान अधिकारों और विशेषाधिकारों का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया गया था. जून में, यूपीएससी ने अपनी परीक्षाओं में धोखाधड़ी रोकने और परीक्षा शुचिता सुनिश्चित करने के लिए एडवांस्ड टेक्नोलॉजी को अपनाने का फैसला किया था. अब मेन्स के एग्जाम में छात्रों को चीटिंग करने से रोकने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल किया जाएगा.