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बड़े किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट का पर्दाफाश, डोनर्स पर कसा शिकंजा, चारों तरफ मचा हड़कंप

jantaserishta.com
14 April 2024 9:24 AM GMT
बड़े किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट का पर्दाफाश, डोनर्स पर कसा शिकंजा, चारों तरफ मचा हड़कंप
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किडनी देने के लिए दो-दो लाख रुपये लिए थे।
गुरुग्राम: हरियाणा और राजस्थान में किडनी ट्रांसप्लांट गिरोह का भंडाफोड़ होने के बाद गुरुग्राम पुलिस ने शनिवार को पांच बांग्लादेशी नागरिकों को गिरफ्तार किया है। पकड़े गए पांचों आरोपियों में से तीन लोग किडनी लेने वाले हैं और दो लोग अंग दान करने वाले हैं। उन्होंने किडनी देने के लिए दो-दो लाख रुपये लिए थे। पुलिस ने कहा कि गिरोह का मुख्य साजिशकर्ता मोहम्मद मुर्तजा अंसारी अब भी फरार है, वह झारखंड का मूल निवासी है।
पुलिस ने बताया कि बांग्लादेश के नागरिक 31 वर्षीय मोहम्मद अहसानुल, 24 वर्षीय शमीम मेहंदी हसन, 56 वर्षीय नुरुल इस्लाम, 25 वर्षीय सैयद अकिब महमूद और 30 साल के मोहम्मद आजाद हुसैन को गिरफ्तार किया गया है। ये सभी मेडिकल वीजा पर भारत आए थे। शमीम मेहंदी हसन के वीजा पर रविंद्रनाथ टैगोर अस्पताल कोलकाता और अन्य चारों के वीजा पर फोर्टिस अस्पताल जयपुर लिखा हुआ है। पांचों आरोपियों को अदालत में पेश किया गया, जहां से सभी को न्यायिक हिरासत में भोंडसी जेल भेज दिया गया है।
सदर थाना प्रभारी इंस्पेक्टर अर्जुन देव ने बताया कि अवैध रूप से किडनी देना और किडनी ट्रांसप्लांट कराना गैरकानूनी है। इस मामले में जांच अभी जारी है। मामले में जयपुर की एसीबी भी जांच कर रही है।
किडनी के अवैध कारोबार का मास्टरमाइंड झारखंड का मोहम्मद मुर्तजा अंसारी है। उसकी तलाश में राजस्थान, हरियाणा और झारखंड पुलिस छापेमारी कर रही है, लेकिन अब तक उसका पता नहीं चल सका है। मुर्तजा बीते सात महीनों से जयपुर के एक निजी अस्पताल में सक्रिय था। वहां पर वह किडनी ट्रांसप्लांट करवाता था। उसकी गिरफ्तारी के लिए गुरुग्राम पुलिस की पांच टीमें जुटी हुई हैं और झारखंड भी गई थीं। मुर्तजा के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर जारी करने की तैयारी है।
मुख्यमंत्री उड़नदस्ता, जिला स्वास्थ्य विभाग और गुरुग्राम पुलिस की संयुक्त टीम ने 4 अप्रैल को एक होटल में छापेमारी कर किडनी ट्रांसप्लांट गिरोह का भंडाफोड़ किया था। ट्रांसप्लांट से पहले और बाद में मरीज और किडनी दाता को गुरुग्राम के बबील पैलेस होटल में ठहराया जाता था।
सरगना मोहम्मद मुर्तजा अंसारी उससे कम से कम दस लाख रुपये लेता था। इसके बाद वह बांग्लादेश के गरीब और कर्ज में फंसे नागरिकों से अपने नेटवर्क के जरिये संपर्क करता। किडनी देने के लिए तैयार हो जाने वाले लोगों को वह कुल चार लाख रुपये देता था।
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