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नई दिल्ली: हरियाणा के करनाल में चार संदिग्ध आतंकियों के पकड़े जाने के बाद पाकिस्तान से जुड़ी एक बड़ी खबर सामने आई है। कहा जा रहा है कि इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) भारत में खालिस्तान आंदोलन के विस्तार की कोशिश कर रहा है। गुरुवार को हरियाणा और पंजाब पुलिस ने संयुक्त कार्रवाई कर बड़ी आतंकी साजिश को नाकाम किया था। पकड़े गए आतंकी तेलंगाना में विस्फोटकों पहुंचाने की तैयारी कर रहे थे। रिपोर्ट्स के अनुसार, ये हथियार ड्रोन के जरिए पाकिस्तान से फिरोजपुर भेजे गए थे।
न्यूज18 की रिपोर्ट के अनुसार, प्राप्त खुफिया नोट से पता चला है कि ISI भारत के अन्य हिस्सों में खालिस्तान आंदोलन का विस्तार करना चाहता है। इसमें पता चला है कि नए प्रमुख नदीम अंजुम भारत में अशांति फैलाने के लिए सिख अलगाववादियों का सहारा लेना चाहता है। नोट के अनुसार, अंजुम ने रंजीत सिंह नीता और वाधवा सिंह बब्बर समेत सभी खालिस्तानी नेताओं से लाहौर में कहा है कि भारत में हथियारों बांटने के लिए पंजाब के गैंगस्टर को संगठित करें।
रिपोर्ट के मुताबिक, नोट में कहा गया है कि गुरुवार को करनाट में पकड़े गए चार लोग भी ड्रोन के जरिए हथियार भेजे जाने वाले समूह का हिस्सा हैं। खुफिया जानकारी के अनुसार, हथियार ड्रोन के जरिए पंजाब पहुंचे थे और गैंगस्टर-टैरेरिस्ट हरविंदर सिंह 'रिंदा' को इन्हें देश के अलग-अलग हिस्सों में पहुंचाने की जिम्मेदारी मिली थी। खास बात है कि साल 2021 में लुधियाना कोर्ट ब्लास्ट केस में भी रिंदा के नाम की पुष्टि एजेंसी ने की थी।
रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से लिखा है कि पाकिस्तान से आने वाले ड्रग्स और हथियारों को भारत के अलग-अलग हिस्सों में भेजने के लिए गैंगस्टर अपने स्थानीय नेटवर्क का इस्तेमाल कर रहा था। उन्होंने बताया कि रिंदा संभावित रूप से वाधवा सिंह के साथ लाहौर के जोहर शहर में है।
सूत्रों ने कहा कि ISI चाहती है कि वाधवा सिंह और रिंदा RDX के इस्तेमाल से धमाका करें और अशांति के लिए कुछ स्थानीय नेताओं को मारें और हिंदू-सिख और हिंदू-मुस्लिम तनाव बढ़ाने के मौके तलाशें।
रिपोर्ट के अनुसार, सूत्रों ने कहा कि करनाल से गिरफ्तार हुए युवकों में से एक गुरप्रीत ने एजेंसियों को बताया कि उसे रिंदा के इशारे पर ड्रोन के जरिए सीमा पार से खेप मिली थी। सूत्रों ने जानकारी दी कि जांच में आरोपियों ने एजेंसियों को बताया कि उन्होंने अप्रैल 2022 में भी इस तरह की खेप भेजी थी। सूत्रों के अनुसार, आरोपियों ने कहा कि उन्हें खेप मिलने के 6 घंटे पहले जानकारी मिलती थी। रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया कि एक बार हथियार मिलने के बाद उन्हें खास जगह या राज्य में ले जाने के निर्देश मिलते थे।
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