भारत
BIG BREAKING: जनवरी में यूपी-एमपी समेत 7 राज्यों में भाजपा अध्यक्ष बदलेंगे
Shantanu Roy
29 Dec 2024 3:52 PM GMT
x
बड़ी खबर
New Delhi. नई दिल्ली। भाजपा में जल्द ही संगठन स्तर पर बड़ा फेरबदल होने वाला है। नए साल में जनवरी के आखिरी या फरवरी के पहले हफ्ते में पार्टी को नया राष्ट्रीय अध्यक्ष मिल सकता है। हालांकि पार्टी के संविधान के मुताबिक इससे पहले 50 प्रतिशत राज्यों में संगठन के चुनाव पूरे कराने हैं। इसके अलावा 15 जनवरी तक मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, गुजरात, पश्चिम बंगाल, जम्मू-कश्मीर और झारखंड में प्रदेश अध्यक्ष भी बदले जाएंगे। संगठन चुनाव को लेकर रविवार को दिल्ली में पार्टी की बैठक हुई, जिसमें इन चुनावों को लेकर चर्चा हुई। पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा, संगठन महामंत्री बीएल संतोष के अलावा सभी राष्ट्रीय महासचिव और संगठन चुनाव प्रभारी, सह प्रभारी मौजूद रहे। इसके अलावा राज्यों से प्रदेश अध्यक्ष, संगठन मंत्री और चुनाव अधिकारी भी बैठक में शामिल हुए। लोकसभा-विधानसभा चुनाव के चलते नड्डा का कार्यकाल बढ़ा जेपी नड्डा को जून, 2019 में पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष और जनवरी, 2020 में पूर्णकालिक अध्यक्ष बनाया गया था। पार्टी अध्यक्ष का कार्यकाल 3 साल का होता है। इस लिहाज से नड्डा का कार्यकाल 2023 में खत्म हो चुका है। लोकसभा और विधानसभा चुनावों को देखते हुए उनका कार्यकाल बढ़ाया गया था।
भाजपा के संविधान के मुताबिक कोई व्यक्ति अधिकतम दो कार्यकाल तक लगातार अध्यक्ष रह सकता है। नड्डा के केंद्रीय मंत्रिमंडल में जाने के बाद उनके दोबारा अध्यक्ष बनने की संभावना खत्म हो चुकी है। इसकी वजह भाजपा का एक व्यक्ति-एक पद नियम है। पद के लिए आयु सीमा तय, युवाओं को अहमियत भाजपा अपने संगठन में युवाओं को महत्व देने के लिए पहले ही आयु सीमा तय कर चुकी है। इसके लिए जिलों के भीतर बनाए जाने वाले मंडल अध्यक्ष की उम्र 35 से 45 साल के बीच निर्धारित की गई है। वहीं, जिलाध्यक्ष की उम्र 45 से 60 साल के बीच होगी। जिलाध्यक्ष के लिए संगठन में 7 से 8 साल तक काम करने का अनुभव भी जरूरी किया गया है। इनका चुनाव 15 जनवरी तक पूरा कराए जाने का लक्ष्य है। लगातार दो बार मंडल अध्यक्ष या जिलाध्यक्ष रह चुके व्यक्ति को तीसरी बार मौका नहीं मिलेगा। साथ ही तय हुआ है कि संगठन के किसी पद पर काम कर रहे व्यक्ति को ही जिलाध्यक्ष बनाया जाएगा। भाजपा ने महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनावों के ऐलान के दिन (15 अक्टूबर) ही पार्टी के आंतरिक चुनावों के लिए अधिकारी नियुक्त किए थे। पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने तेलंगाना से राज्यसभा सांसद डॉ. के लक्ष्मण को राष्ट्रीय चुनाव अधिकारी बनाया था। लक्ष्मण 2020 से OBC मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं।
राष्ट्रीय अध्यक्ष को लेकर भी इनके नाम की चर्चा थी, लेकिन राष्ट्रीय चुनाव अधिकारी बनाए जाने के बाद इन अटकलों पर विराम लग गया। इसके अलावा नरेश बंसल, रेखा वर्मा, संबित पात्रा को राष्ट्रीय सह चुनाव अधिकारी बनाया गया था। पार्टी के सभी राष्ट्रीय महासचिवों और दूसरे पदाधिकारियों को अलग-अलग राज्यों का पर्यवेक्षक नियुक्त किया गया था। भाजपा में अध्यक्ष पद के चुनाव की प्रक्रिया क्या है? भारतीय जनता पार्टी (BJP) में अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए पार्टी के संविधान में स्पष्ट निर्देश हैं। पार्टी के संविधान की धारा-19 के तहत राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की व्यवस्था की गई है। धारा-19 के मुताबिक, पार्टी के अध्यक्ष का चुनाव एक निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाएगा। इसमें राष्ट्रीय परिषद और प्रदेश परिषदों के सदस्य होंगे। पार्टी के संविधान में कहा गया है कि यह चुनाव राष्ट्रीय कार्यकारिणी द्वारा निर्धारित नियमों के मुताबिक किया जाएगा।
अध्यक्ष चुने जाने के लिए यह जरूरी है कि व्यक्ति कम से कम 15 साल तक पार्टी का प्राथमिक सदस्य रहा हो। धारा-19 के पेज में ही यह लिखा गया है कि निर्वाचक मंडल में से कुल 20 सदस्य राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के चुनाव की योग्यता रखने वाले व्यक्ति के नाम का प्रस्ताव रखेंगे। यह संयुक्त प्रस्ताव कम से कम 5 ऐसे प्रदेशों से भी आना जरूरी है, जहां राष्ट्रीय परिषद के चुनाव संपन्न हो चुके हों। इसके अलावा इस तरह के चुनाव के लिए नामांकन पत्र पर उम्मीदवार की स्वीकृति भी जरूरी है। भाजपा के संविधान के मुताबिक कम से कम 50% यानी आधे राज्यों में संगठन चुनाव के बाद ही राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव किया जा सकता है। इस लिहाज से देश के 29 राज्यों में से 15 राज्यों में संगठन के चुनाव के बाद ही भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होता है। इसमें पार्टी के संसद सदस्यों में से 10 प्रतिशत सदस्य चुने जाते हैं, जिनकी संख्या दस से कम न हो। यदि संसद सदस्यों की कुल संख्या दस से कम हो तो सभी चुने जाएंगे।
परिषद में पार्टी के सभी भूतपूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष, प्रदेशों के अध्यक्ष, लोकसभा, राज्यसभा में पार्टी के नेता, सभी प्रदेशों की विधानसभाओं और विधान परिषदों में पार्टी नेता सदस्य होंगे। इसके अलावा राष्ट्रीय अध्यक्ष की ओर से अधिक से अधिक 40 सदस्य नामांकित किए जा सकते हैं। राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सभी सदस्य भी इसमें शामिल होते हैं। विभिन्न मोर्चों और प्रकोष्ठों के अध्यक्ष और संयोजक भी सदस्य होते हैं। सभी को 100 रुपए का सदस्यता शुल्क देना पड़ता है। भाजपा की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक, पार्टी के संविधान की धारा 21 के मुताबिक, कोई भी सदस्य 3-3 वर्ष के लगातार 2 कार्यकाल तक ही अध्यक्ष रह सकता है। प्रत्येक कार्यकारिणी, परिषद, समिति और उसके पदाधिकारियों और सदस्यों के लिए भी 3 साल की अवधि तय की गई है। पार्टी के संविधान के मुताबिक, बीजेपी का सदस्य बनने के लिए मुख्य शर्त यह भी है कि व्यक्ति 18 साल या उससे अधिक उम्र का होना चाहिए। साथ ही उसका किसी अन्य दल से जुड़ाव नहीं हो। बीजेपी का संगठनात्मक ढांचा बीजेपी का पूरा संगठन राष्ट्रीय से लेकर स्थानीय स्तर तक तकरीबन सात भागों में बंटा है। राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रीय परिषद और राष्ट्रीय कार्यकारिणी, प्रदेश स्तर पर प्रदेश परिषद और प्रदेश कार्यकारिणी होती हैं। इसके बाद क्षेत्रीय समितियां, जिला समितियां, मंडल समितियां होती हैं। फिर ग्राम और शहरी केंद्र होते हैं और स्थानीय समितियों का भी गठन होता है। स्थानीय समिति पांच हजार से कम की जनसंख्या पर गठित होती है।
Shantanu Roy
Next Story