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सुप्रीम कोर्ट से दोषी सज्जन कुमार को बड़ा झटका, मेडिकल आधार पर जमानत देने से किया इनकार
Renuka Sahu
3 Sep 2021 5:52 AM GMT
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फाइल फोटो
1984 के सिख विरोधी हिंसा मामले में उम्रकैद सजायाफ्ता कांग्रेसी नेता सज्जन कुमार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। 1984 के सिख विरोधी हिंसा मामले (1984 Anti Sikh Riots) में उम्रकैद सजायाफ्ता कांग्रेसी नेता सज्जन कुमार (Sajjan Kumar) को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने गुरुवार को दोषी सज्जन कुमार (Sajjan Kumar) को मेडिकल ग्राउंड के आधार पर जमानत देने से इनकार कर दिया. न्यायालय ने सीबीआई द्वारा दाखिल की गई मेडकिल रिपोर्ट के आधार पर अपना फैसला सुनाया.
दरअसल, सीबीआई ने मेडीकल रिपोर्ट में कहा कि सज्जन कुमार का स्वास्थ्य अभी सही है और उनका इलाज चल रहा है. इस पर सज्जन कुमार के वकील ने कहा कि वह मेदांता में अपना इलाज करवाना चाहते हैं. उनका कस्टडी में रहकर इलाज करवाया जा सकता है. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सज्जन कुमार (Sajjan Kumar) अकेले ऐसे बीमार नहीं हैं, जिन्हें स्पेशल ट्रीटमेंट दिया जाए. कोर्ट ने कहा कि सज्जन कुमार को गंभीर अपराध में दोषी करार दिया गया है. वह जेल में डॉक्टरों कें देखरेख में अपना इलाज करवा सकते हैं.
उल्लेखनीय है कि साल 1984 में हुए सिख विरोधी हिंसा (1984 Anti Sikh Riots) मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे कांग्रेस नेता सज्जन कुमार की स्वास्थ्य संबंधी हालत जानने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को निर्देश दिए थे. सज्जन कुमार (Sajjan Kumar) ने न्यायालय से स्वास्थ्य आधार पर अंतरिम जमानत मांगी है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने इस संबंध में जांच एजेंसी से एफिडेविट दायर करने को कहा था, ताकि सज्जन कुमार की अंतरिम जमानत की मांग पर कोई फैसला लिया जा सके.
सज्जन कुमार की ओर से पेश वकील विकास सिंह ने सुप्रीम कोर्ट से अपने मुवक्किल के लिए इस आधार पर अंतरिम जमानत की मांग की थी कि उनका वजन बहुत कम हो गया है और उपचार के लिए उन्हें एक प्राइवेट अस्पताल में ले जाने की आवश्यकता है.
वहीं, दूसरे पक्ष ने सज्जन कुमार की अंतरिम जमानत की मांग का विरोध किया तथा कहा था कि इससे पहले अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के मेडिकल बोर्ड ने उनकी स्वास्थ्य जांच की थी, जिसके पश्चात न्यायालय ने ही उनकी जमानत की मांग को अस्वीकार कर दिया था. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इसे एक साल पहले का घटनाक्रम बताते हुए खारिज कर दिया तथा कहा कि याचिकाकर्ता की मेडिकल कंडीशन की दोबारा जांच की जाए और इस बाबत सुप्रीम कोर्ट को निर्देश दिए.
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