
कुल्लू। दक्षिण एशिया के एक छोटे और महत्त्वपूर्ण देश भूटान को सोने की चिडिय़ा कहलाए जाने वाले भारत देश के पहाड़ी राज्य में बसे हिमाचल प्रदेश के जनजातीय जिला लाहुल-स्पीति की वेशभूषा पसंद आई है। भूटान पर्यटन मंत्रालय ने लाहुल की वेशभूषा में चोलू परिधान को बेहद खूबसूरत बताया है। वहीं, विश्व में सांस्कृतिक टूरिज्म की बढ़ोतरी के लिए लाहुल के चोलू को एक कवच बताया है। बाकायदा भूटान पर्यटन ने हिमाचल प्रदेश के लाहुल-स्पीति जिला के लोगों द्वारा भूटान तीर्थ यात्रा के दौरान पापंपरिक चोलू पहन सजी महिलाओं की फोटो को ऑफिशियल इंस्ट्राग्राम पेज पर शेयर किया है।
भूटान टूरिज्म के ऑफिशियल इंस्ट्राग्राम पेज ने हिमाचल प्रदेश की टूर कंपनी राइजिंग डस्ट एडवेंचर द्वारा आयोजित भूटान तीर्थ यात्रा में सम्मिलित लाहुल और किन्नौर के 19 यात्रियों अदिति नेगी, कुंजोम्म, रिगजीन डोलमा, डोलमा, देचेन, सरला, दावा गयलोंग, अमर सिंह, यूरजोम, अमर चंद, देचेन डोलमा, सुशीला नेगी, टाशी पलमो, सुदर्शनी देवी, तनजीन अंगमो, शांति देवी, छिमे अंगमो, फुंचोग अंगमो और विक्रम कटोच को फीचर करते हुए अपने इंस्ट्राग्राम में जगह दी। अदिति नेगी द्वारा डाले गए इस पोस्ट को भूटान टूरिज्म ने अपने इंट्राग्राम के ऑफिशियल पेज पर जगह दी। यात्रा में सम्मिलित सभी यात्रियों ने भूटान की सुंदरता, यहां के नियम पालन करने वाले नागरिकों, यहां की स्वच्छता, संस्कृति और सुंदर गोंपाओं की तारीफ की है।
उन्होंने कहा कि वे बार-बार यहां आना चाहेंगे। इस यात्रा के दौरान सभी महिलाएं लाहुल के पारंपरिक वेशभूषा चोलू को पहन कर पारो के ताकसंग गोंपा पहुंची। जहां भूटान सहित देश-विदेश के यात्रियों ने लाहुल के चोलू के डिजाइन को सराहा। यह हिमाचल के लिए गौरव की बात है। भूटान तीर्थ यात्रा के दौारान हिमाचल की टीम में शामिल 84 वर्षीय डोलमा और 80 वर्षीय रिंगजीन डोलमा ने चार घंटे में 2900 मीटर ताकसंग गोंपा पहुंच कर सबको चौंका दिया। राइजिंग डस्ट एडवेंचर के प्रॉपराइटर विक्रम कटोच ने कहा कि इस धार्मिक यात्रा से सभी यात्री बहुत खुश हुए। भूटान में एसोसिएट्स ने यात्रियों के आवभगत में कोई कमी नहीं छोड़ी। इस दौरान यात्रियों ने भूटान के खान-पान का भी खूब लुत्फ उठाया।
