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खौफ: हिंदू महिला की अर्थी को मुस्लिमों ने दिया कंधा, किया अंतिम संस्कार

Kunti Dhruw
28 April 2021 5:35 PM GMT
खौफ: हिंदू महिला की अर्थी को मुस्लिमों ने दिया कंधा, किया अंतिम संस्कार
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कोरोना का ये कैसा खौफ है

जनता से रिश्ता वेबडेस्क: कोरोना का ये कैसा खौफ है कि अब लोग किसी के अंतिम संस्कार में शामिल होने से भी कतराने लगे हैं. परिवार के सदस्य भी आखिरी समय पर मुंह फेर लेते हैं और शव को कंधा देने के लिए कोई आगे नहीं आता. जब परिवार अपनी जिम्मेदारी निभाने से पीछे हटता है तो समाज के दूसरे लोग ना सिर्फ मदद को आगे आते हैं बल्कि पूरे रीति-रिवाज से अंतिम संस्कार भी करवा देते हैं. ताजा मामला मेरठ का है जहां पर कुछ मुस्लिम युवकों ने एक हिंदू महिला का अंतिम संस्कार करवाया.

मुस्लिमों ने किया हिंदू महिला का अंतिम संस्कार
हैरानी की बात ये रही कि घंटों तक परिवार का इंतजार हुआ, उम्मीद जताई गई कि कोई आएगा और कंधा दिया जाएगा. लेकिन कोरोना का ऐसा डर कि कोई भी आगे नहीं आया और फिर मुस्लिम युवकों ने ही इस परंपरा को पूरा किया. ये घटना हापुड़ की है जहां पर सुषमा अग्रवाल नाम की महिला रहती थीं. वे पिछले कुछ दिनों से ठीक महसूस नहीं कर रही थीं और एक दिन उनकी तबीयत ज्यादा बिगड़ी और उनकी मौत हो गई. मौत के बाद पति वाराणसी से अगरे दिन मेरठ पहुंच गए, लेकिन बाकी रिश्तेदारों की सिर्फ राह देखी गई, आया कोई भी नहीं. लगातार हुई देरी के बाद पूर्व पार्षद और बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा के महानगर अध्यक्ष तहसीन अंसारी अपने कुछ साथियों के साथ वहां पहुंच गए. मुस्लिम समाज से ही आसपास के कुछ लोग भी आगे आए. फिर अर्थी को वहीं कंधा देकर पैदल सूरज कुंड श्मशान घाट तक ले गए. इस दौरान हिन्दू रिवाज की तरह ही शवयात्रा में वे 'राम नाम सत्य है' भी बोलते गए.
टूट गईं धर्म की तमाम बंदिशें
ऐसे भाईचारे वाली तस्वीर सिर्फ मेरठ से ही सामने नहीं आई है, कोरोना की इस सुनामी ने धर्म की तमाम बंदिशों को तोड़ दिया है और अब हर कोई जरूरत पड़ने पर एक दूसरे की मदद को आगे आ रहा है. कई जगहों पर अगर गुरुद्वारे सभी को खाना खिला रहे हैं तो कई जगह पर अब मंदिरों को कोविड सेंटर में बदला जा रहा है. सभी की नजरों में इंसानियत को ही सबसे बड़ा धर्म बताया जा रहा है और बस मदद करने की कोशिश हो रही है. मेरठ की ये घटना भी इसी नजरिए से देखी जानी चाहिए.
वैसे लोग इस समय अंतिम संस्कार के वक्त ही मदद को आगे नहीं आ रहे हैं, बल्कि कई ऐसे भी हैं जो क्वारंटीन हो चुके मरीजों की भी सुध रहे हैं. उन्हें मुफ्त में फूड पैकेट भिजवाया जा रहा है, जरूरत पड़ने पर घर पर ही दवाइयां भिजवाई जा रही हैं. कई तरह के हेल्पलाइन नंबर भी चलाए जा रहे हैं. मदद करने का तरीका अलग है, लेकिन सभी एक समान सिर्फ सेवा करने पर जोर दे रहे हैं और इस कोरोना लड़ाई को आसान बनाने की कोशिश कर रहे हैं.


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