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शिमला। हिमाचल विधानसभा में शोकोद्गार के बाद मानसून सत्र के पहले दिन की शुरूआत हंगामे के साथ हुई। शोकोद्गार के बाद जैसे ही विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने प्रश्नकाल को शुरू करना चाहा तो नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर, विधायक विपिन सिंह परमार, रणधीर शर्मा व राकेश जम्वाल ने नियम-62 के तहत स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा का मुद्दा उठाया। विपक्ष के सदस्यों का कहना था कि सोमवार की कार्य सूची में शामिल सदन के सभी विषयों को स्थगित करके प्राकृतिक आपदा से प्रदेश में हुए नुक्सान पर चर्चा होनी चाहिए। हालांकि नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर को छोड़कर विपक्ष के विधायकों की तरफ से कही गई बातें रिकार्ड पर नहीं आईं। विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने इस दौरान सदन में व्यवस्था दी कि सत्तापक्ष व विपक्ष दोनों के प्रस्तावों का विषय एक है। सत्तापक्ष ने नियम-102 के तहत प्रस्ताव पहले दिया है, जिसे आज की कार्य सूची में भी शामिल कर लिया गया है। उन्होंने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को इस पर नियम-102 के तहत चर्चा के लिए अधिकृत किया। उन्होंने कहा कि विपक्ष के विषय को भी इसी में समायोजित किया जाएगा, जिसके बाद भाजपा विधायकों ने सदन में हंगामा व नारेबाजी करते हुए वाकआऊट किया। इस दौरान पक्ष-विपक्ष के सदस्यों के बीच नोंक-झोंक भी हुई।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि जब प्रदेश आपदा के दौर से गुजर रहा था तो उस समय विपक्ष मानसून सत्र को बुलाए जाने की मांग कर रहा था। उन्होंने कहा कि अब मानसून सत्र शुरू होने पर भी विपक्ष गंभीर नहीं है और मीडिया की सुॢखयां बटोरने के लिए सदन से वाकआऊट कर रहा है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में आई प्राकृतिक आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करते हुए केदारनाथ, जोशीमठ व भुज में आए भूकंप की तर्ज पर मदद मिलनी चाहिए। उन्होंंने कहा कि आपदा में सरकार प्रभावित लोगों को बचाना चाहती थी, जिसके लिए सभी मंत्री व विधायक काम में जुटे। देश के शेष हिस्से से कटे कुल्लू-मनाली में 48 घंटे में वैकल्पिक यातायात की बहाली करके 75 हजार लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला और चंद्रताल में 295 पर्यटकों को जगत सिंह नेगी और संजय अवस्थी ने प्रशासन के साथ मिलकर निकाला। मुख्यमंत्री ने विपक्ष पर कटाक्ष करते हुए कहा कि उनकी तरफ से तो अभी एक माह का वेतन तक नहीं दिया गया है। उन्होंने कहा कि इससे स्पष्ट है कि विपक्ष कितना गंभीर है। इस पर विपक्ष की तरफ से जवाब आया कि मंगलवार को यह चैक दे दिए जाएंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि आपदा की इस घड़ी में कर्नाटक, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु और हरियाणा सहित अन्य सरकारों के साथ-साथ प्रदेश के अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने भी इसके लिए अपने एक दिन का वेतन दिया है।
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार से उदार वित्तीय मदद मिलने के बावजूद राज्य सरकार की तरफ से केंद्र सरकार पर बिना वजह ठीकरा फोडऩा चाहती है। उन्होंने कहा कि यह सदी की सबसे बड़ी त्रासदी है। ऐसे में सारा काम रोककर इस पर चर्चा होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि आपदा की इस घड़ी में वह खुद 3 बार केंद्र से मदद मांगने गए, वहीं केंद्र सरकार से भी तुरंत राहत राशि को जारी किया गया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की बजाय इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि केंद्र सरकार से कितनी मदद मिली है।
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Shantanu Roy
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