Breaking News

संसद में हंगामा मामलें की जांच में बनी एंटी टेरर यूनिट कमेटी

Shantanu Roy
13 Dec 2023 6:21 PM GMT
संसद में हंगामा मामलें की जांच में बनी एंटी टेरर यूनिट कमेटी
x

नई दिल्ली। संसद में लोकसभा की कार्रवाही के दौरान हुए हंगामे और विरोध प्रदर्शन की जांच दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल को सौंप दी गई है. दिल्ली पुलिस की एंटी टेरर यूनिट अब इस मामले की तफ्तीश करेगी. संसद मार्ग पुलिस स्टेशन में मौजूद चारों आरोपियों को स्पेशल सेल को सौंपा जा रहा है. इस सेल की कई दर्जन टीमें दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में कई जगहों पर छापेमारी कर रही हैं. संसद में हुई इस गंभीर घटना को जांच एजेंसियां राष्ट्र विरोधी हरकत के रूप में देख रही हैं. यही वजह है कि चारों आरोपियों सागर शर्मा, मनोरंजन, नीलम आजाद और अमोल शिंदे से लगातार पूछताछ की जा रही है. उनसे जुड़ी कड़ियां खोजी जा रही हैं।

वहीं, गृहमंत्रालय ने सीआरपीएफ के डीजी अनीश दयाल की निगरानी में जांच के आदेश दिए हैं. उनकी अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई गई है, जिसमें कई एक्सपर्ट शामिल हैं. यह कमेटी हर एंगल से केस की जांच करेगी. सीआरपीएफ के पास संसद के बाहरी लेयर की सुरक्षा की जिम्मेदारी है. सीआरपीएफ जवान संसद परिसर में मौजूद रहते हैं, लेकिन भवन के अंदर प्रवेश की इजाजत नहीं होती है. हालांकि, संसद की सुरक्षा से जुड़ी हर योजना को बनाने में उनकी भूमिका अहम होती है. यही वजह है कि सीआरपीएफ डीजी को इस कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया है. वैसे अनीश दयाल लंबे वक्त तक आईबी में तैनात रहे हैं. इसलिए जांच में उनका अनुभव भी काम आएगा।

इससे पहले दिल्ली पुलिस चारों आरोपियों को लेकर संसद मार्ग पुलिस स्टेशन पहुंची. शुरूआती जांच में ये बात सामने आई है कि संसद के बाहर से पकड़े गए नीलम और अमोल के पास मोबाइल फोन नहीं था. इनके पास किसी भी तरह का पहचान पत्र और बैग भी नहीं था. पूछताछ के दौरान दोनों ने किसी भी संगठन से संबंध होने से इंकार किया है. उनका दावा है कि उन्होंने खुद से प्रेरित होकर संसद में हंगामा किया है. सूत्रों के हवाले से पता चला है कि इस साजिश में कुल 6 लोग शामिल थे. इनमें से दो लोगों ने संसद के अंदर हंगामा किया, तो दो ने बाहर. एक आरोपी हंगामे से पहले डर के मारे भाग गया. छठे आरोपी की पहचान नहीं हो सकी है।

यह भी जानकारी सामने आ रही है कि संसद भवन के अंदर और बाहर जिस स्प्रे का इस्तेमाल किया गया, वो किसी भी तरह के केमिकल युक्त या विस्फोटक नहीं था. प्राथमिक परीक्षण में पता चला है कि वो एक कलर स्प्रे है, जो आमतौर पर उत्सव के दौरान इस्तेमाल किया जाता है. दोनों जगह इस्तेमाल किए गए स्प्रे का कंपोजीशन एक जैसा ही मिला है. इसे संसद भवन के विजिटर एंट्री गेट से अंदर लाया गया था. इस मामले के सामने आने के तुरंत बाद सुरक्षा एजेंसियों ने संसद भवन परिसर के भीतर एक महत्वपूर्ण सुरक्षा ड्रिल कर सुनिश्चित किया है कि भविष्य में इस तरह का खतरा दोबारा न पैदा हो. स्प्रे सैंपल को परीक्षण के लिए फोरेंसिक लैब भेजा गया है।

इस घटना को अंजाम देने वाले चारों आरोपी गुरुग्राम के सेक्टर 7 की हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी में रुके थे. चारों विक्की शर्मा नामक एक शख्स के दोस्त हैं, जो कि मूल रूप से हिसार का रहने वाला है. दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने विक्की शर्मा और उसकी पत्नी को भी हिरासत में ले लिया है. बताया जा रहा है कि सभी आरोपी सोशल मीडिया के जरिए एक-दूसरे से मिले थे. इसके बाद पूरी साजिश रची गई थी. इसके बाद तय दिन पर संसद में दर्शक बनकर दो लोग घुसे. उनकी योजना प्रतीकात्मक विरोध की थी. लेकिन सबसे बड़ा सवाल संसद की सुरक्षा व्यवस्था का है. सुरक्षा एजेंसियां द्वारा की गई इतनी कड़ी सुरक्षा के बावजूद चारों आरोपी अपने मकसद में कामयाब रहे।

सूत्रों के मुताबिक, ऑल पार्टी फ्लोर लीडर्स की मीटिंग में लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने इसे बहुत गंभीर मामला बताया है. उन्होंने गृह मंत्रालय के स्पेशल सेक्रेटरी को पत्र भी लिखा है. नई संसद भवन के सिक्योरिटी सिस्टम का नए सिरे से रिव्यू किया जाएगा. बताया जा रहा है कि एंट्री गेट पर अब फुल बॉडी स्कैनर लगाने की व्यवस्था की जाएगी. इसके साथ ही नई संसद में अलग-अलग गेट से एंट्री की व्यवस्था की जाएगी. हालांकि, पहले भी सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद ही थी. संसद भवन में तीन लेयर की सुरक्षा होती है. इसमें संसद परिसर की सुरक्षा सीआरपीएफ के पास रहती है. मुख्य भवन की सुरक्षा का जिम्मा जॉइंट सिक्योरिटी सेक्रेटरी के पास होता है, जो पूरे संसद परिसर की सुरक्षा को देखता है।

इसके बाद लोकसभा और राज्यसभा में अपने डायरेक्टर सिक्योरिटी सिस्टम होते हैं. विजिटर पास के लिए लोकसभा सचिवालय के फॉर्म पर किसी सांसद का रिकमेंडेशन सिग्नेचर जरूरी होता है. इसके साथ ही विजिटर को पास के लिए आधार कार्ड ले लाना होता है. विजिटर जब रिसेप्शन पर पहुंचता है, तो वहां मौजूद सुरक्षा गार्ड महिला और पुरुष को अलग-अलग फ्रिस्किंग करके जांच करते हैं. इसके बाद रिसेप्शन पर फोटो आईडी कार्ड बनता है. मोबाइल फोन को रिसेप्शन पर ही जमा कर लिया जाता है. इसके बाद विजिटर फोटो आइडेंटिटी कार्ड के साथ सिक्योरिटी कमांडो के जरिए गैलरी तक पहुंचता है. विजिटर गैलरी में ठहरने के लिए एक समयावधि होती है, जिसके बाद उसे बाहर कर दिया जाता है।

Next Story