पानीपत. हरियाणा के पानीपत (Panipat) में आगरा का मुस्लिम परिवार (Muslim Family) कई पीढ़ियों से दशहरे पर जलाये जाने वाले रावण, मेघनाथ और कुंभकरण के पुतले (Effigies Of Meghnath And kumbhakaran) बना रहा है. पुतले बनाने वाले कारीगरों का कहना है कि पहले उनके पिता यहां पर आकर पुतले बनाते थे. अब 30 साल से वह यहां आकर पुतले बना रहा है. खास बात यह है कि अब इस मुस्लिम परिवार का सॉफ्टवेयर इंजीनियर बेटा भी आकर उनके साथ पुतले बना रहा है.
पुतले बनाने वाले असगर अली ने बताया कि वह पहले PWD में सिविल इंजीनियर के पद पर काम करते थे, लेकिन काफी समय पहले उन्होंने नौकरी छोड़ दी. अब रावण, कुंभकरण और मेघनाथ के पुतले बनाने का काम कर रहे हैं. उनका कहना था कि काम उनका पुश्तैनी था, इसलिए उन्हें किसी से सीखने की जरूरत नहीं पड़ी. उन्होंने बताया कि एक महीना पहले ही वह पानीपत में आ जाते हैं और पुतले बनाने में जुट जाते हैं. उन्होंने बताया कि पानीपत के साथ-साथ वह पंजाब चंडीगढ़ में भी जाकर पुतले बनाते हैं. लोगों की उनके पास अलग-अलग तरह के पुतले बनाने की डिमांड आती है. असगर अली ने बताया कि पुतले बनाने में उनका पूरा परिवार साथ देता और पुतले बनाने में उनके बेटे भी साथ देते हैं. असगर अली ने बताया शुरुआत में उनके ही समाज के लोगों ने कई बार उनको हिंदू धर्म के लिए काम करने के बारे में भी मना किया लेकिन उन्होंने अपना यह पुश्तैनी काम नहीं छोड़ा. उन्होंने बताया कि एक बार वे पानीपत से पुतले बनाने का काम खत्म करने के बाद अपने घर आगरा गए थे. वे वहां किसी मस्जिद में चले गए. जब वे वहां पर दान करने लगे तो एक मौलवी ने उनसे दान लेने से भी मना कर दिया और बोला कि तुम हिंदुओं के त्योहार के लिए पुतले बना कर आए हो. इसलिए हम तुम्हारा दिया चंदा नहीं लेंगे. जिसके बाद उन्होंने भी मौलवी को फटकार लगा दी.
असगर अली ने बताया कि उन्हीं के धर्म के लोग उन्हें पुतले बनाने से रोक रहे थे, लेकिन उन्होंने किसी की न सुनी और अपना काम करते रहे. असगर अली का कहना था कि वो पुतले बनाकर समाज मे भाईचारे के संदेश देना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि हिन्दू- मुस्लिम सभी एक हैं. किसी को भी आपस मे द्वेष भावना नहीं रखनी चाहिए. और सभी को भाईचारे के साथ रहना चाहिए.