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यूनिवर्सल कार्टन से बागबानों के साथ सरकार को भी मिला फायदा

Shantanu Roy
30 Sep 2024 9:51 AM GMT
यूनिवर्सल कार्टन से बागबानों के साथ सरकार को भी मिला फायदा
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Shimla. शिमला। बागबानों की सुविधा और सेब की खेती के भविष्य के दृष्टिगत सरकार ने वर्ष 2024 में यूनिवर्सल कार्टन लागू किया, जिसमें 22 से 24 किलो तक ही सेब को भरा जा सकता है। इस वर्ष यूनिवर्सल कार्टन को लागू करने के सुखद परिणाम भी सामने आ रहे हैं। इससे सेब की फसल के मंडियों में भी बेहतर दाम मिल रहे हैं, जिससे उनकी आय में काफी बढ़ोतरी हुई है। इसके साथ ही सरकार को भी फायदा हो रहा है। हिमाचल में सेब की खेती वर्ष 1916 के आसपास शिमला से लगभग 80 किलोमीटर दूर कोटगढ़ में एक अमरीकी व्यक्ति सैमुअल स्टोक्स द्वारा शुरू की गई।
रॉयल सेब
की खेती आज वर्तमान हिमाचल प्रदेश की आर्थिकी की रीढ़ बन चुकी है। ऐसा नहीं है कि इससे पूर्व हिमाचल में सेब नहीं होता था। इससे पहले कुल्लू के बंदरोल में 1870 में एक अंग्रेज अधिकारी कैप्टन आरसी ली ने यूरोप से पौधे मंगवाकर सेब का बगीचा लगवाया था, लेकिन उस सेब की किस्म स्वाद और रंग के मामले में उतनी अच्छी गुणवत्ता नहीं थी, जितना स्टोक्स द्वारा लगाए अमरीकी रॉयल किस्म के सेब की थी। इस समय हिमाचल के सेब बहुल क्षेत्र में रॉयल सेब के उत्पादन का हिस्सा लगभग 90 प्रतिशत है और सेब उत्पादन इस समय हिमाचल प्रदेश का बहुत बड़ा और अग्रणी उद्योग बन चुका है।

शुरुआत में सेब को लकड़ी की पेटी में मंडियों में भेजा जाता था। सेब की ग्रेडिंग व आकार के आधार पर 10 इंच से 12 इंच की पेटियों में सेब भरा जाता था, जिसमें 18 किलो से लेकर 20 किलो तक सेब भरा जा सकता था। ये पेटियां रई और सफेदा जैसे पेड़ों की लकड़ी से बनाई जाती थी और मजबूत होती थीं, लेकिन समय के साथ उत्पादन जैसे-जैसे बढ़ा, वैसे-वैसे लकड़ी की ज्यादा मांग के कारण जंगलों पर इसका दबाव बढ़ा। सरकार ने इसे रोकने के लिए बाजार में गत्ते की पेटी को उतारा, ताकि पर्यावरण पर अधिक दबाव न पड़े। गत्ते की पेटी जिसे टेलिस्कोपिक कार्टन भी कहा जाता है, एक
सफल प्रयोग
सिद्ध हुई, क्योंकि यह हल्की पैकिंग करने में आसान व पर्यावरण के लिए नुकसानदायक भी नहीं थी, परंतु लकड़ी की पेटी के मुकाबले इसमें सेब को वजन के अनुरूप भरने की कोई सीमा नहीं है। यद्यपि यह केवल 20 से 24 किलो सेब भरने की दृष्टि से ही बनाई गई थी, लेकिन कुछ बागबानों ने इस सीमा से अधिक इसमें 30 से 35 किलो सेब भरना शुरू कर दिया, जिससे छोटे बागबान इस परंपरा का शिकार होने लगे। वर्तमान कांग्रेस सरकार ने बागबानों की बात को समझते हुए वर्ष 2023 में टेलिस्कोपिक कार्टन में अधिकतम 24 किलो की सीमा को तय किया। पूरे विश्व में सेब की पैकिंग के यही मापदंड है। इसलिए वर्तमान प्रदेश सरकार ने निर्णय लिया कि हिमाचल के सेब को भी इसी मापदंड से भरा जाना चाहिए।
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