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शिमला। हिमाचल प्रदेश में सरकारी अफसरोंं और कर्मचारियों को एनुअल कॉन्फिडेंशियल रिपोर्ट, जिसे अब एनुअल परफॉर्मेंस अप्रेजल रिपोर्ट यानी एपीएआर कहा जाता है, उसकी प्रक्रिया बदलने वाली है। कार्मिक विभाग ने अपने स्तर पर इस टारगेट बेस्ड कर दिया है। फाइनल ड्राफ्ट को अप्रूवल के लिए मुख्यमंत्री को भेज दिया है। संभव है कि चुनावों के बाद कैबिनेट की मोहर इस पर लगाई जाए। इसके बाद चाहे पीडब्ल्यूडी या जलशक्ति का इंजीनियर हो या स्वास्थ्य विभाग के डाक्टर या फिर शिक्षा विभाग में टीचर, हर कर्मचारी या अधिकारी की परफॉर्मेंस को उसके टारगेट पर आंका जाएगा। कार्मिक विभाग ने संबंधित प्रशासनिक सचिव को यह टारगेट तय करने की छूट दी है। हर पद के लिए कुल दस इंडिकेटर बनाए जाएंगे। इनमें से पांच इंडिकेटर प्राथमिकता वाले होंगे। रिपोर्टिंग अफसर को प्राथमिकता वाले इंडिकेटर चुनने का अधिकार होगा।
मसलन यदि राजस्व विभाग में किसी तहसीलदार का काम आंका जाना हो, तो उसे तहसील में लंबित काम और राजस्व संबंधित मामलों के आधार पर आंका जाएगा। इस प्रक्रिया में कई बदलाव पहली बार किया जा रहे हैं। सरकार को भेजे गए ड्राफ्ट में पुलिस अधिकारियों के लिए अब एसीआर के तीन ही लेवल होंगे। पहले अलग-अलग रैंक के लिए पांच से आठ लेवल पुलिस में थे। इन्हें अब नई प्रक्रिया में बदल दिया है। हिमाचल में वर्तमान में एसीआर सामान्य तौर पर ऑफलाइन ही होती है। सिर्फ ऑल इंडिया सर्विसेज के अधिकारियों, हिमाचल प्रदेश प्रशासनिक सेवा और हिमाचल प्रदेश पुलिस सेवा के अधिकारियों की एसीआर ऑनलाइन भरी जा रही थी, लेकिन अब सभी विभागों के लिए सिर्फ ऑनलाइन एसीआर ही विकल्प होगा, जिस साल का काम आंका जाना है या रिपोर्ट किया जाना है, उसी वर्ष में इस प्रक्रिया को पूरा करना होगा।
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