बंगाल bengal news। आज ही के दिन यानी 5 अक्टूबर 1864 को पश्चिम बंगाल में चक्रवाती तूफान ने भारी तबाही मचाई थी. कलकत्ता (कोलकाता) शहर में भीषण बाढ़ आ गई थी. एक अनुमान के मुताबिक इस तूफान ने 60 हजार लोगों की जान चली गई थी. तूफान खत्म होने के बाद बीमारियों और संक्रमण की वजह से भी हजारों जानें चली गई थीं. West Bengal
बंगाल की खाड़ी में उठे इस तूफान ने पूरा शहर और बंदरगाह तबाह कर दिया था. इसे फिर से बनाने में कई साल लगे थे. इसके बाद साल 1865 में देश में पहली बार समुद्री तूफानों के लिए चेतावनी सिस्टम बनाया गया था. ऐसे में कलकत्ता चेतावनी (साइक्लोन सिग्नल) देने वाला पहला बंदरगाह बना. 5 अक्टूबर 1864 को कोलकाता में आए भयंकर चक्रवात की याद 160 साल बाद भी आज भी बंगाल के लोगों के दिलों में ताजा है.
लगभग हर साल बंगाल के निवासियों को कई तरह के चक्रवातों से खतरा बना रहता है. पिछली तीन शताब्दियों में, 1737 से लेकर 2021 तक, बंगाल के लोगों ने डेढ़ सौ से ज्यादा चक्रवात तूफान का सामना किया है. 1737, 1864, 1874, 1876 और 1942 के अक्टूबर में बंगाल की खाड़ी में आए चक्रवात बहुत भयंकर थे और इनसे जान-माल का काफी नुकसान हुआ था.
5 अक्टूबर 1864 को कोलकाता में आया चक्रवात बंगाल के सबसे खतरनाक चक्रवातों में से एक था. यह दुनिया के सबसे विनाशकारी चक्रवातों में से एक था. चक्रवात की तबाही बहुत भयानक थी. उस तूफान में तब के अधिकारियों का अनुमान था कि करीब 60 हजार लोगों की जान गई होगी. कहा जाता है कि बंगाल में जान-माल के नुकसान का आंशिक रूप से ही पता लगाया गया था.