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काबुल एयरपोर्ट के बाहर पानी की एक बोतल 3000 रुपये, भूखे प्यासे रहने को मजबूर लोग

jantaserishta.com
26 Aug 2021 2:01 AM GMT
काबुल एयरपोर्ट के बाहर पानी की एक बोतल 3000 रुपये, भूखे प्यासे रहने को मजबूर लोग
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अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में तालिबान के घुसने के साथ ही पिछले एक हफ्ते से ज्यादा समय से यहां पर अफरा-तफरी का माहौल है. तालिबान की इस हकीकत से तो सारी दुनिया वाकिफ है. लेकिन काबुल एयरपोर्ट पर अफगानिस्तान के लोग जिस टॉर्चर से गुजर रहे हैं, उसके लिए इतिहास तालिबान को कभी माफ नहीं करेगा. काबुल एयरपोर्ट पर चारों तरफ हताशा और मायूसी है. हर आदमी बदहवास और नाउम्मीद है.

लोग भूखे प्यासे गर्मी में अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं. हालांकि इन लोगों का हौसला अब टूटने लगा है. शरीर ने जवाब देना शुरू कर दिया है. इसका नतीजा ये हुआ है कि काबुल एयरपोर्ट पर कब कौन जमीन पर गिर पड़ेगा, कुछ कहा नहीं जा सकता.
10 सेकंड की एक तस्वीर वायरल हो रही है. इस तस्वीर में अफगानों के साथ हो रहा एक बड़ा अत्याचार छिपा है. काबुल एयरपोर्ट के बाहर पानी पीती एक लड़की के वीडियो में तालिबान का वो जुल्म छिपा है, जिसने अत्याचार की नई परिभाषा गढ़ी है. काबुल एयरपोर्ट के बाहर मची इस अफरातफरी में 20 लोग मर चुके हैं, लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि क्यों काबुल एयरपोर्ट के बाहर लोग बेहोश हो रहे हैं? क्यों काबुल एयरपोर्ट के बाहर विदेशी सैनिक पानी डाल रहे हैं. सवाल ये है कि इस अफगान महिला को एक विदेशी सैनिक ने ही पानी क्यों पिलाया ?
इन सवालों की वजह पानी है. जिसकी कीमत यहां आसमान छू रही है. काबुल एयरपोर्ट के बाहर पानी की एक बोतल, 40 डॉलर यानी करीब 3000 रुपये में बिक रही है. वहीं एक प्लेट चावल का भाव 100 डॉलर तक चला गया है. जो करीब 7500 रुपये होते हैं. बड़ी बात ये है कि चाहे पानी की बोतल खरीदनी हो या फिर खाने की प्लेट लेनी हो. अफगानिस्तान की मुद्रा की जगह डॉलर में ही भुगतान लिए जा रहे हैं.
खाना-पानी की कीमत इतनी ज्यादा बढ़ने से लोग भूखे पेट धूप में खड़े होने को मजबूर हैं और बेहोश होकर गिर रहे हैं. लेकिन तालिबान लोगों की मदद करने के बजाए उनसे मारपीट कर रहा है. इस मुश्किल वक्त में नाटो देशों के सैनिक अफगानिस्तान के मददगार बनकर उभर रहे हैं. जो एयरपोर्ट के पास अस्थाई घर बनाकर रहने वाले लोगों को पानी की बोतल और खाना दे रहे हैं. इसके अलावा अमेरिकी सैनिक अफगानिस्तान के छोटे बच्चों को चिप्स के पैकेट बांटते हुए भी देखे जा सकते हैं.
अफगानिस्तान के बच्चों को विदेशियों का ये व्यवहार बहुत पसंद आ रहा है और वो अमेरिकी सैनिकों को सलाम भी कर रहे हैं. लेकिन इस तस्वीर का एक तथ्य ये भी है कि अमेरिका की वजह से ही काबुल में ये कोहराम मचा हुआ है. जो 20 सालों में एक ऐसी फौज भी नहीं बना सका जो तालिबान से मुकाबला कर सके. जब अमेरिका अफगानिस्तान को थाल में सजाकर तलिबान के हवाले कर रहा है तब उसके सैनिकों का ये बर्ताव उसकी छवि को एक अलग ही पहचान दे रहा है.
लेकिन अफगानिस्तान के लोगों को सबसे बड़ी समस्या विदेशों में शरण पाने की है. जिसे तालिबान ने करीब करीब नामुमकिन बना दिया है. अमेरिका ने जुलाई से अबतक 75900 लोगों को काबुल से बाहर निकाला है. इसमें 70,700 लोगों को पिछले 10 दिनों में ही अमेरिका ने अफगानिस्तान से बाहर निकाला है. लेकिन फिर भी एक बड़ी संख्या में लोग अब भी काबुल एयरपोर्ट पर फंसे हुए हैं.
माना जाता है कि अफगानिस्तान के 2.5 लाख लोगों को तालिबान से खतरा है. जिनमें से सिर्फ 60 हजार लोग ही उसके चंगुल से बच पाए हैं. ऐसे में बाकी बचे करीब 2 लाख लोगों के सामने बचने के लिए सिर्फ गिने चुने दिन ही बचे हैं. तो काबुल एयरपोर्ट के बाहर खड़े लोगों के हाथों से वक्त रेत की तरह तेजी से निकलता जा रहा है. क्योंकि 31 अगस्त के बाद काबुल में क्या होगा? इस बारे में कोई नहीं जानता.
काबुल एयरपोर्ट पर एक तस्वीर देखने को मिली, जिसमें एक विदेशी सैनिक स्ट्रेचल लेकर भागता है और जल्दी से गश खाकर गिरी महिला को उठाकर उसकी मदद करने लगता है. काबुल एयरपोर्ट पर तालिबान के चंगुल में दोबारा फंसने की चिंता लोगों के पैरों की ताकत छीन रही है. विदेशी सैनिकों को समझ नहीं आ रहा कि वो एयरपोर्ट पर आतंकी हमले से अपनी रक्षा करें या फिर काबुल में इकट्ठे इन लोगों की मदद करें.
सबसे ज्यादा बुरा हाल छोटे-छोटे बच्चों का है. जो आसमान से बरसती आग से बुरी तरह झुलस गए हैं. जल्द से जल्द काबुल छोड़ने की मजबूरी से लोगों की जान पर बन आई है. छोटे-छोटे मासूम बच्चों की जान दांव पर है. काबुल से आने वाली इन चीखों ने सारी दुनिया को दहला दिया है. सिवाए तालिबान के जो किसी भी हाल में इन मासूम बच्चियों को धर्म की बेड़ियां पहनाना चाहता है.
हालांकि काबुल एयरपोर्ट पर सिर्फ बच्चे नहीं रो रहे. धक्का मुक्की खाने वाली महिलाओं की हालत भी अच्छी नहीं है. जो कभी भी भगदड़ का शिकार हो सकती हैं. लेकिन फिर भी वो घर लौटने को तैयार नहीं हैं. अफगानिस्तान के ये लोग जानते हैं कि कभी भी मदद का हाथ छूट सकता है. लेकिन इनके पास कोई दूसरा विकल्प भी नहीं है.
तालिबान ने चारों तरफ से काबुल एयरपोर्ट को घेर लिया है. काबुल की तरफ जाने वाली रोड हो या फिर एयरपोर्ट का मेन गेट, हर तरफ तालिबान ने नाकेबंदी कर रखी है. जिससे बचने के लिए लोगों की भारी भीड़, एयरपोर्ट के उत्तरी गेट का रुख कर रहे हैं. लेकिन वहां भी तालिबान के लड़ाके उन्हें परेशान कर रहे हैं.
काबुल एयरपोर्ट पर तालिबान लोगों को धमका रहा है. वो लोगों से पूछता है आप लोग यहां क्यों आए हो? क्या आपके पास घर नहीं है? क्या आप अफगानी नहीं हैं. अमेरिका से मदद लेकर कौम को क्यों बदनाम कर रहे हो? लेकिन इसके बावजूद लोग लगातार काबुल एयरपोर्ट पहुंच रहे हैं. यहां आकर ये लोग नाटो देशों के सैनिक से एयरपोर्ट के अंदर दाखिल होने की गुहार लगाते हैं. घंटों उनके सामने बैठे रहते हैं और कभी कभी बेहोश होकर गिर भी जाते हैं.

काबुल एयरपोर्ट पर लोगों की इस हालत की सबसे बड़ी वजह अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन हैं. जो 31 अगस्त को काबुल एयरपोर्ट से अमेरिकी सैनिकों को वापस बुलाने पर अड़े हुए हैं. तालिबान भी विदेशियों के अफ़ग़ानिस्तान छोड़ने की 31 अगस्त की डेडलाइन को आगे बढ़ाने को राजी नहीं है. ऐसे में काबुल एयरपोर्ट पर फंसे उन हजारों लोगों के सामने जिंदगी और मौत का सवाल खड़ा हो गया है. इतने कम वक्त में अगर वो काबुल से नहीं निकले तो तालिबान उनका क्या करेगा, कुछ कहा नहीं जा सकता

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