पश्चिम बंगाल

दुगड्डा में मिला दुनिया का सबसे बड़ा बाघ, ब्रिटिश सरकार के आदेश

Nidhi Markaam
24 May 2022 9:10 AM GMT
दुगड्डा में मिला दुनिया का सबसे बड़ा बाघ, ब्रिटिश सरकार के आदेश
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बहुत कम लोगों का यह मालूम होगा कि कभी विश्व का सबसे बड़ा बाघ (रॉयल बंगाल टाइगर) उत्तराखंड के दुगड्डा (कोटद्वार) में मिला था

बहुत कम लोगों का यह मालूम होगा कि कभी विश्व का सबसे बड़ा बाघ (रॉयल बंगाल टाइगर) उत्तराखंड के दुगड्डा (कोटद्वार) में मिला था। यह बाघ 3.22 मीटर (10 फीट 7 इंच) लंबा था। बाघ की प्रतिकृति नमूना आज भी अमेरिका के स्मिथसोनियन म्यूजियम ऑफ नेचुरल हिस्ट्री वाशिंगटन डीसी में सुरक्षित है। उस दौर में यह बाघ गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज हुआ था।

70 के दशक में पौड़ी जिले के दुगड्डा क्षेत्र में खूंखार बाघ की दहशत थी। ब्रिटिश सरकार के आदेश पर अमेरिका के उद्योगपति डेविड हेंचिगर ने उसे नवंबर 1967 में गोली का निशाना बनाया था। बाघ का आकार और वजन देखकर सभी हैरान रह गए। बाघ का वजन 389 किलो (857 पौंड) था। गोली का शिकार होने से पहले गुलदार ने एक भैंस का शिकार किया था।

इतना बड़ा बाघ मिलना बहुत आश्चर्यजनक था। डेविड उसके शव को अमेरिका के स्मिथसोनियन म्यूजियम ऑफ नेचुरल हिस्ट्री ले गए, जहां माप और नाप के आधार पर वह विश्व का सबसे बड़ा बाघ घोषित किया गया और यह बाघ गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज हो गया। एचएनबी केंद्रीय गढ़वाल विवि के रिटायर्ड प्रो. आरसी शर्मा बताते हैं कि जब वे वर्ष 1980 में वाशिंगटन डीसी के भ्रमण के दौरान म्यूजियम में गए तो उन्होंने बाहर पोर्च में बाघ की प्रतिकृति का नमूना देखा।

नमूने में उल्लेख किया गया था कि यह बाघ नार्थ उत्तर प्रदेश (अविभाजित उत्तराखंड) के दुगड्डा में मिला था। इसमें केंद्र सरकार को भी धन्यवाद दिया गया था। प्रो. शर्मा बताते हैं कि यह बाघ चंपावत के दुर्दांत बाघ की तीसरी पीढ़ी का सदस्य था। बाघ के कैनाइन (रदनक दांत) टूट गए थे, जिससे यह नरभक्षी हो गया था। वर्ष 1986 तक यह विश्व का सबसे बड़ा बाघ रहा। उन्होंने बताया कि अब इस बाघ का नमूना म्यूजियम के मैमल्स गैलरी में रखा गया है।

आसान शिकार और अनुकूल मौसम से बढ़ सकता है आकार

दस सालों से वन्य जीवों पर शोध कर रहे सुनाल कुमार बताते हैं कि आमतौर बंगाल टाइगर की लंबाई 9 फीट और वजन 180 से 220 किलोग्राम होता है। 1967 में मिले बाघ के ज्यादा वजनी और लंबा होने के दो मुख्य कारण हो सकते हैं। दुगड्डा पहाड़ी क्षेत्र है, जहां मैदान की अपेक्षा मौसम सर्द रहता है। इसके अलावा उत्तराखंड में जंगली जानवर को भोजन भी ज्यादा मेहनत किए बिना प्रचुर मात्रा में मिल जाता है। इससे उसका आकार और वजन पीढ़ी दर पीढ़ी बढ़ने की संभावना होती है। जिस बाघ को दुगड्डा में मारा गया था, उसने एक रात पहले भैंस को खाया था। एक बाघ 100 से 150 किलोग्राम मांस आसानी से खा जाता है। ऐसे में देखा जाए, तो बाघ के वजन में भैंस का वजन भी शामिल हो गया होगा।

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