उत्तराखंड

रोडवेज के ड्राइवरों की तबीयत के साथ बिगड़ेगी पर्यटकों की हालत, प्रबंधन परेशान

Admin Delhi 1
14 Jun 2023 6:51 AM GMT
रोडवेज के ड्राइवरों की तबीयत के साथ बिगड़ेगी पर्यटकों की हालत, प्रबंधन परेशान
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नैनीताल न्यूज़: हल्द्वानी में 45 चालक-परिचालक के एक साथ छुट्टी मांगने से रोडवेज प्रबंधन परेशान है. पर्यटन सीजन के बीच अच्छी आय वाले रूटों पर सेवाएं प्रभावित होने की आशंका जताई जा रही है. नैनीताल, दिल्ली समेत 7 रूटों पर बसों का संचालन भी लड़खड़ा सकता है. वहीं यात्रियों को भी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. उधर, निगम अधिकारियों का कहना है कि समस्या के समाधान के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं.

पर्यटक सीजन में जहां यात्रियों की संख्या बढ़ गई है, वहीं निगम प्रबंधन संसाधनों की कमी से जूझ रहा है. इस बीच जितनी सीट उतने यात्री के नियम से लोगों को बसों में सीट पाने को इंतजार करना पड़ रहा है. विभिन्न रूटों पर प्रबंधन को अतिरिक्त बसें दौड़ानी पड़ रही हैं. वहीं स्टाफ कम होने से चालक परिचालकों पर काम का बोझ दोगुना हो गया है. काम के दबाव से उनकी तबीयत भी गड़बड़ाने लगी है. सूत्रों के मुताबिक एक साथ 45 चालक-परिचालकों के छुट्टी मांगने से नैनीताल, दिल्ली के अलावा गुरुग्राम, फरीदाबाद, दून, गंगोलीहाट, पिथौरागढ़ आदि रूटों पर हल्द्वानी डिपो की बसों का संचालन प्रभावित हो सकता है.

यह भी हैं आरोप:

● अनुबंधित बसों की संख्या लगातार बढ़ाई जा रहीं, लेकिन स्टाफ नहीं बढ़ाया जा रहा

● मुख्यालय से तय ड्यूटी के नियमों का नहीं हो रहा पालन, ड्यूटी रेस्ट भी नहीं मिल रहा

● 250 मृतक आश्रितों को काम पर नहीं रखा जा रहा

चालक परिचालकों की भारी कमी:

परिवहन निगम में चालक परिचालक की भारी कमी है. कर्मचारियों का कहना है कि अनुबंधित बसों की संख्या लगातार बढ़ाई जा रही है. बीते माह करीब 8 से ज्यादा अनुबंधित सीएनजी बसें दिल्ली रूट पर लगाई गई हैं. लेकिन उसके मुताबिक स्टाफ नहीं रखा जा रहा है. ऐसे में मौजूदा स्टाफ पर काम का अतिरिक्त दबाव पड़ रहा है.

20 लाख रुपये प्रतिदिन कमा रहे तब यह हालत:

पर्यटन सीजन में हल्द्वानी डिपो की बसों को खूब सवारी मिल रही हैं. बीते दिनों डिपो की प्रतिदिन 20 लाख रुपये कमाई हो रही थी. लेकिन जितनी सीट उतने यात्री नियम लागू होने के बाद कमाई कम हुई है.

मृतक आश्रितों को काम पर नहीं रखा जा रहा है. बसों की संख्या बढ़ाई जा रही है जबकि स्टाफ कम है. इससे चालक परिचालकों पर काम का अतिरिक्त दबाव है. रेस्ट भी खत्म कर दिया गया है. ऐसे में कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है. निगम प्रबंधन को मामले में तुरंत ठोस कार्रवाई करनी चाहिए.

- कमल पपनै, प्रदेश अध्यक्ष, उत्तरांचल रोडवेज कर्मचारी संगठन

कर्मचारी संगठनों की हालत दयनीय

परिवहन निगम में कर्मचारियों के पांच संगठन है. सभी संगठन अपनी उपस्थिति समय समय पर दर्ज कराते रहते हैं. मांगों पर कार्रवाई नहीं होने पर पांचों संगठनों ने संयुक्त मोर्चा बनाया. हैरानी की बात यह है कि प्रबंधन ने संयुक्त मोर्चा के साथ हुए समझौते को भी लागू नहीं किया है.

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