पीसीसीएफ का कार्यभार संभालने के बाद राजीव भरतरी द्वारा किए गए रेंजरों के तबादले भी निरस्त
देहरादून न्यूज़: वन विभाग के मुखिया राजीव भरतरी पर सरकार ने सख्त फैसला लिया है. विभागीय मुखिया के रूप में उनके सभी अधिकारों पर रोक लगा दी गई है. यहां तक कि दोबारा विभागीय मुखिया बनने के अगले ही दिन दस रेंजरों के जो तबादले उन्होंने किए थे, उन्हें भी शासन ने निरस्त कर दिया है.
भरतरी ने हाईकोर्ट के आदेश के बाद को वन विभाग में मुखिया का पद संभाला था. इसके अगले ही दिन उन्होंने दस रेंजरों के तबादले कर दिए थे. इन तबादलों पर वन सचिव विजय कुमार ने रोक लगा दी. साथ ही एक आदेश जारी कर भरतरी को आगे शासन की अनुमति के बिना कोई भी तबादला न करने के निर्देश दिए. भरतरी, पाखरो प्रकरण, कार्बेट में कंडी रोड, मोरघट्टी वन विश्राम गृह, कार्बेट में अवैध निर्माण, राजाजी पार्क में अनियमितताओं के मामलों की फाइलें भी नहीं देख पाएंगे. आदेश में साफ कहा गया है कि इन मामलों में पूर्व में अधिकारियों ने उन्हें जानकारी दी थी, बावजूद इसके उन्होंने कार्रवाई नहीं की, इसलिए अब वह कोई भी कार्रवाई नहीं करेंगे.
एनजीटी या सुप्रीम कोर्ट से नहीं कर सकेंगे पत्राचार उनके एनजीटी, सुप्रीम कोर्ट, एनटीसीए, सेंट्रल जू अथारिटी, हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट की सीईसी से पत्राचार करने भी रोक लगाई गई है. पीसीसीएफ इन सभी में वाइल्ड लाइफ शासन की अनुमति के बाद ही पत्राचार कर सकेंगे. भरतरी ने पूर्व में विभागीय मुखिया के पद से हटने के बाद पाखरो प्रकरण में इन संस्थाओं के साथ पत्राचार करते हुए सरकार को ही कठघरे पर खड़ा किया गया था.
आईएफएस मनोज चंद्रन को पद से हटाया आईएफएस मनोज चंद्रन को शासन ने सीसीएफ मानव संसाधन के पद से हटा दिया है. सीसीएफ निशांत वर्मा उनका स्थान लेंगे. पीसीसीएफ भरतरी के निर्देश पर चंद्रन ने चार डिप्टी रेंजरों के तबादले कर उन्हें चार्ज दिया था. चंद्रन को छुट्टी के दिन भरतरी को ज्वाइनिंग कराने वन मुख्यालय पहुंचे थे व चार्ज लेने से पहले ही भरतरी की बायोमैट्रिक्स हाजिरी लगाने में मदद की थी.