उत्तराखंड

द्वाराहाट से आकर बागेश्वर में चमके थे चंदन, बागेश्वर सीट से लगातार चौथी बार बने भाजपा से विधायक

Admin Delhi 1
29 April 2023 1:37 PM GMT
द्वाराहाट से आकर बागेश्वर में चमके थे चंदन, बागेश्वर सीट से लगातार चौथी बार बने भाजपा से विधायक
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नैनीताल न्यूज़: बागेश्वर के विधायक एवं कैबिनेट मंत्री चंदन राम दास के निधन से बागेश्वर विधानसभा सीट रिक्त हो रही है. इस सीट पर दूसरा ‘चंदन’ खोजना भाजपा के लिए चुनौती होगी. चंदन राम दास लगातार चार बार विधायक रहने के साथ ही कैबिनेट मंत्री रहे. उनके निधन से भाजपा को बड़ी क्षति पहुंची है. दास की कार्यशैली के चलते बागेश्वर के लोगों ने उन्हें लगातार चार बार विधायक चुना. उनके आकस्मिक निधन की सूचना के बाद पार्टी पदाधिकारी से लेकर यहां के सभी लोग स्तब्ध हैं. इसके साथ ही रिक्त हो रही बागेश्वर सीट पर छह महीने के भीतर उप चुनाव होना नियमत स्वाभाविक है. अब यहां भाजपा के लिए नया चंदन खोजना किसी चुनौती से कम नहीं है. हालांकि पहले के मामले देखे जाएं तो भाजपा ने ऐसी स्थिति में परिवार के लोगों को ही तवज्जो दी है.

कैबिनेट मंत्री चंदन रामदास का आकस्मिक निधन क्षेत्रीय जनता की अपूर्णीय क्षति है. उनके निधन से राजनीति में जो स्थान रिक्त हुआ है, उसकी भरपाई कभी नहीं की जा सकती है. उन्होंने कांग्रेस पार्टी से अपना राजनीतिक सफर शुरू किया. गरीब दलित परिवार में पैदा हुए इस नेता के प्रदेश के विकास में दिए गए योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है.

-करन माहरा, प्रदेश अध्यक्ष, कांग्रेस

अल्मोड़ा जिले में द्वाराहाट क्षेत्र के कांडे गांव के मूल निवासी चंदन राम दास बागेश्वर में आकर चमके थे. यहां नगर पालिका अध्यक्ष से लेकर, सरकार में संसदीय सचिव और बाद में कैबिनेट मंत्री बने.

जीवन में मिली हर सफलता को वह बाबा बागनाथ का आशीर्वाद मानते थे. कैबिनेट मंत्री बनने के बाद उन्होंने बागनाथ मंदिर में चांदी का छत्र भी चढ़ाया था. उत्तराखंड में चंदन राम दास धरातल से जुड़े उन राजनेताओं में शुमार थे, जिन्होंने बेहद गरीब परिवार में जन्म लेने और बचपन में अभावों के बावजूद खुद को टूटने नहीं दिया. दास का जन्म 10 अगस्त 1957 को कांडे गांव में रतन राम एवं पार्वती देवी के घर में हुआ था. दास की प्राथमिक शिक्षा प्राथमिक पाठशाला, सुरईखेत में हुई. उन्होंने एमबी इंटर कॉलेज, हल्द्वानी से इंटर और एमबी पीजी कॉलेज, हल्द्वानी से स्नातक किया. वर्ष 1979 में अर्थशास्त्रत्त् से एमए किया. बीए प्रथम वर्ष की पढ़ाई के दौरान छात्र संघ में संयुक्त सचिव पद का चुनाव लड़कर दास ने राजनीतिक पारी की शुरुआत की. स्नातक की पढ़ाई के बाद 1979 से 1980 तक उन्होंने एक साल का खादी ग्रामोद्योग, मुंबई से प्रबंधकीय डिप्लोमा किया. डिप्लोमा करने बाद उन्होंने अप्रैल 1980 से स्वैच्छिक संस्थाओं के माध्यम से खादी ग्रामोद्योग से संबंधित कार्यक्रम चलाए. कुमाऊं की काशी बागेश्वर में परिवार सहित आने के बाद उनके असल राजयोग की शुरुआत हुई. वर्ष 1997 में बागेश्वर नगरपालिका के चुनाव में उन्होने लोगों के काफी आग्रह पर अध्यक्ष पद का चुनाव निर्दलीय रूप से लड़ा और कांग्रेस-भाजपा के प्रत्याशियों को हराकर अध्यक्ष बने. तत्कालीन मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी ने उन्हें भाजपा से जुड़ने का न्योता दिया तो वो भाजपा में शामिल हो गए.

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