जनता से रिश्ता वेबडेस्क | बदरी केदार धाम में क्यू आर कोड स्कैनर के जरिए ठगी से बवाल मच गया है। बवाल के बाद बदरी केदार मंदिर समिति ने धामों से स्कैनर के बोर्ड हटवा दिए हैं। बीकेटीसी ने पुलिस में शिकायत भी दर्ज कराई है। लेकिन इस ठगी को लेकर बीकेटीसी की कार्यशैली पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
बदरी केदार धाम में डिजिटल दान के नाम पर बड़ी ठगी का मामला सामने आया है। दोनों धामों में क्यू आर कोड स्कैनर लगाकर ये श्रद्धालुओं के साथ ठगी की गई है। कपाट खुलने के दिन से दोनों धामों में क्यू आर कोड स्कैनर के जरिए डिजिटल दान का बोर्ड लगाया गया था।
25 अप्रैल को केदारनाथ और 27 अप्रैल को बदरीनाथ धाम के कपाट खुले थे। उस दिन से लगातार श्रद्धालु क्यू आर कोड स्कैन कर डिजिटल दान दे रहे थे। दोनों धामों में इस तरह क्यू आर कोड से दान लेने पर तरह तरह तरह की चर्चाएं होने लगीं।
जिस पर अब बदरी केदार मंदिर समिति की ओर से बयान आया है कि ये स्कैनर मंदिर समिति ने नहीं लगवाए थे। बीकेटीसी के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने कहा है कि ये बोर्ड कपाट खुलने के दिन से लगवाए गए थे जिन्हें हटा दिया गया है। साथ ही पुलिस को तहरीर देकर कार्रवाई का अनुरोध किया गया है।
पुलिस ने मामले को गंभीरता से लेते हुए मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू दी है। डीजीपी अशोक कुमार ने इस मामले के दोषियों पर कानूनी कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
बदरी केदार धाम में डिजिटल दान के नाम पर ठगी को लेकर विपक्षी कांग्रेस ने बीकेटीसी पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस का कहना है कि आखिर वो कौन शातिर है जिसने मंदिर समिति की नाक के नीचे धामों में श्रद्धालुओं के साथ इतनी बड़ी ठगी को अंजाम दिया।
केदारनाथ धाम में 25 अप्रैल को कपाट खुले और 30 अप्रैल को बदरी केदार मंदिर समिति ने मामले का संज्ञान लिया।
यानि पांच दिनों तक मंदिर समिति के पदाधिकारियों की इस बोर्ड पर नजर ही नहीं पड़ी और सवाल उठने पर बीकेटीसी पदाधिकारियों की नींद खुली। अब पुलिस की जांच के बाद ही खुलासा होगा कि धामों में दान के नाम पर श्रद्धालुओं से कितनी रकम ठगी गई है, और इस मामले का सूत्रधार कौन है। लेकिन धामों में हुई इस ठगी ने बदरी केदार मंदिर समिति की कार्यशैली पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।