उत्तराखंड
एनडीए की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को मिला उत्तराखंड के 2 निर्दलीय विधायकों का समर्थन
Gulabi Jagat
11 July 2022 7:33 AM GMT
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एनडीए की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू
देहरादून: एनडीए से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू (Presidential candidate Draupadi Murmu) आज देहरादून दौरे पर पहुंची हैं. इस दौरान उन्होंने सभी विधायकों और सांसदों से मुलाकात की. सभी ने राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार मुर्मू के साथ बातचीत की. कार्यक्रम में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (CM Pushkar Singh Dhami) और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत भी मौजूद रहे. वहीं द्रौपदी मुर्मू को निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन मिलता दिख रहा है.
राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू ने मुख्यमंत्री आवास में उत्तराखंड भाजपा के सभी वरिष्ठ नेताओं के साथ ही अन्य पार्टी नेताओं से मुलाकात की और अपने पक्ष में मतदान करने का निवेदन किया. कार्यक्रम में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (CM Pushkar Singh Dhami) और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत भी मौजूद रहे.
बता दें कि इस स्वागत समारोह में जहां एक तरफ एनडीए की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू अपने पक्ष में वोट करने के लिए सभी पार्टी पदाधिकारियों से निवेदन कर रही हैं, वहीं दूसरी तरफ द्रौपदी मुर्मू देश के प्रति अपने विजन और विचारों को भी सभी के सामने रख रही हैं. बड़ी बात यह है कि इस कार्यक्रम में बीजेपी के विधायक और सांसद ही नहीं निर्दलीय विधायक उमेश कुमार और संजय डोभाल भी शामिल हुए हैं. वहीं द्रौपदी मुर्मू को निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन मिला है.
गौर हो कि एनडीए यानी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू आज उत्तराखंड दौरे पर हैं. द्रौपदी मुर्मू आज सुबह 10 बजे जौलीग्रांट एयरपोर्ट पर विशेष विमान से पहुंचीं. यहां से वे सड़क मार्ग से होते हुए देहरादून कचहरी परिसर स्थित शहीद स्थल पहुंचीं. शहीद स्थल पर उन्होंने उत्तराखंड के आंदोलनकारियों और शहीदों को पुष्पांजलि अर्पित की.
18 जुलाई को है राष्ट्रपति चुनाव: 18 जुलाई को राष्ट्रपति पद के लिए मतदान होगा. वहीं, 21 जुलाई को मतगणना की तारीख निर्धारित है. 18 मई 2015 को झारखंड की राज्यपाल के रूप में शपथ लेने से पहले द्रौपदी मुर्मू ओडिशा में दो बार विधायक और एक बार राज्यमंत्री के रूप में काम कर चुकी हैं. राज्यपाल के तौर पर पांच वर्ष का उनका कार्यकाल 18 मई 2020 को पूरा हो गया था, लेकिन कोरोना के कारण राष्ट्रपति की ओर से नई नियुक्ति नहीं किए जाने के कारण उनके कार्यकाल का स्वत: विस्तार हो गया था.
अपने पूरे कार्यकाल में वे कभी विवादों में नहीं रहीं. झारखंड के जनजातीय मामलों, शिक्षा, कानून व्यवस्था, स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों पर वह हमेशा सजग रहीं. कई मौकों पर उन्होंने राज्य सरकारों के निर्णयों में संवैधानिक गरिमा और शालीनता के साथ हस्तक्षेप किया. विश्वविद्यालयों की पदेन कुलाधिपति के रूप में उनके कार्यकाल में राज्य के कई विश्वविद्यालयों में कुलपति और प्रतिकुलपति के रिक्त पदों पर नियुक्ति हुईं.
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