उत्तराखंड

पिथौरागढ़ जिले में आत्महत्या मामलों में तेजी

HARRY
5 May 2023 5:24 PM GMT
पिथौरागढ़ जिले में आत्महत्या मामलों में तेजी
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शादीशुदा महिलाओं की संख्या ज्यादा

उत्तराखंड | इस जिले में आत्महत्या के मामलों में लगातार इजाफा हो रहा है। पिछले कुछ महीनों में सुसाइड के कई मामले सामने आ चुके हैं। शांत समझे वाले इस जिले में सुसाइड के बढ़ते केसों ने आमजन के साथ ही मनोचिकित्सकों को भी सोचने को मजबूर कर दिया है। चिंता की बात है कि आत्महत्या करने वालों में शादीशुदा महिलाओं की संख्या अधिक है। जबकि, लव अफेयर में असफल होकरे सुसाइड की कोशिश करने वालों की संख्या भी कुछ कम नहीं हैं।

सीमांत में आत्महत्या के बढ़ते मामले चिंता का विषय हैं। यहां औसतन हर दूसरे दिन एक व्यक्ति आत्महत्या का प्रयास कर रहा है। बीत तीन माह में ही 42 से अधिक लोग स्वयं की जान लेने की कोशिश कर चुके हैं। करीब दस लोग तो अपनी इस कोशिश में कामयाब भी रहे हैं। आत्महत्या के पीछे पारिवारिक कलह, नशा, प्यार में असफल होना आदि वजह सामने आ रही हैं।

जनपद में बीते कुछ समय से आए दिन आत्महत्या के मामले में सामने आ रहे हैं। आत्महत्या करने वालों में युवाओं से लेकर 65 साल के बुजुर्ग तक शामिल हैं। जिला अस्पताल प्रबंधन की माने तो आए दिन ही कोई न कोई जहरीले पदार्थ का सेवन कर अस्पताल पहुंच रहा है। बीते जनवरी माह से मार्च के दरमियान 32 लोगों को परिजन जहरीला पदार्थ खाने से अस्पताल लेकर पहुंचे। समय रहते इलाज मिलने से अधिकतर लोगों की जान बचाने में स्वास्थ्य कर्मी सफल रहे हैं।

शादीशुदा महिलाओं की संख्या अधिक

आत्महत्या करने वालो में विवाहित महिलाओं की संख्या अधिक है। पारवारिक कलह से अवसाद में आकर महिलाएं अपनी जान ले रही हैं। तीन दिन पूव ही एक विवाहिता ने आत्महत्या की है। इसके अलावा रई, बजेटी, लिंठ्यूड़ा आदि क्षेत्रों में महिलाओं के आत्महत्या करने की घटनाएं सामने आई हैं।

प्रेम में असफल कर रहे कोशिश

प्रेम में असफल होने पर भी युवा आत्मघाती कदम उठा रहे हैं। अब तक कई ऐसे मामले सामने आ चुके हैं। मड़ क्षेत्र में रहने वाले एक परिवार ने तो युवक की मौत के लिए उसकी प्रेमिका को जिम्मेदार बताते हुए पुलिस में तहरीर भी दी है।

पिथौरागढ़ जिले में आत्महत्या के मामलो में वृद्धि देखने को मिली है। मानसिक तनाव में आकर लोग इस तरह के कदम उठा रहे हैं। आत्महत्या का प्रयास कर चुके कई लोग की वर्तमान में काउंसिलिंग भी की जा रही है।

डॉ. ललित भट्ट, मनोचिकित्सक जिला अस्पताल।

अस्पताल में तीन माह के दौरान जहरीला पदार्थ का सेवन कर 32 लोग पहुंचे हैं। समय रहते इलाज मिलने से अधिकतर लोगों की जान बचाई गई है।

डॉ. जेएस नबियाल, पीएमएस जिला अस्पताल।

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