उत्तराखंड

IIT रुड़की ने तैयार किया सेंसर, अब न्‍यूरो संबंधी बीमारियों का प्रारंभिक चरण में लग सकेगा पता

Gulabi Jagat
22 Jun 2022 6:22 AM GMT
IIT रुड़की ने तैयार किया सेंसर, अब न्‍यूरो संबंधी बीमारियों का प्रारंभिक चरण में लग सकेगा पता
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IIT रुड़की ने तैयार किया सेंसर
IIT Roorkee : भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) रुड़की के वैज्ञानिकों की टीम ने डोपामाइन नामक एक ऐसा सेंसर विकसित किया है, जो सीजोफ्रेनिया और पार्किंसंस जैसी तंत्रिका संबंधी बीमारियों का प्रारंभिक चरण में प्रभावी ढंग से पता लगा सकता है। हालांकि इस प्रकार की अधिकांश बीमारियों का पूरी तरह से इलाज नहीं किया जा सकता है, लेकिन बीमारी का जल्दी पता लगने से रोग को बढऩे से रोकने में इस सेंसर के माध्यम से मदद मिलेगी।
तंत्रिका संबंधी विकारों की संभावना का पता लग सकेगा
जब कोई व्यक्ति सीजोफ्रेनिया और पार्किंसंस जैसी बीमारियों से पीडि़त होता है तो मस्तिष्क में डोपामाइन नामक रसायन का स्तर बदल जाता है। ऐसे में आइआइटी रुड़की की ओर से विकसित डोपामाइन सेंसर मस्तिष्क में इस रसायन के स्तर में छोटे से बदलाव का भी पता लगा सकेगा। इस प्रकार सीजोफ्रेनिया और पार्किंसंस रोग जैसे तंत्रिका संबंधी विकारों की संभावना का पता लग सकेगा।
शोध टीम का नेतृत्व कर रहे आइआइटी रुड़की के भौतिकी विभाग के प्रो. सौमित्र सतपति ने बताया कि इस सेंसर को बनाने के लिए ग्रेफीन क्वांटम डाट नामक सामग्री का इस्तेमाल किया गया है, जिसे सल्फर और बोरान के साथ मिलाया गया था। बहुत कम मात्रा में डोपामाइन की उपस्थिति में यह सेंसर प्रकाश की तीव्रता को बदलता है, जिसे आसानी से मापा जा सकता है। इस प्रकार मस्तिष्क में डोपामाइन की मात्रा का अनुमान होता है।
प्रो. सतपति ने कहा कि हमारा वर्तमान अध्ययन पाइंट-आफ-केयर डिवाइस को डिजाइन करने की संभावना को खोलता है, जो वास्तविक नमूनों में डोपामाइन की मात्रा का पता लगाने के लिए उपयुक्त होगा। शोध टीम में आइआइटी रुड़की के बायोसाइंस एवं बायो इंजीनियरिंग विभाग की डा. मनीषा चटर्जी, प्रो. पार्थ राय, प्रथुल नाथ, अंशु कुमार, विशाल कुमार, भौतिकी विभाग के सचिन कादियान और पालिमर एवं प्रोसेस इंजीनियरिंग विभाग के प्रो. गौरव माणिक शामिल हैं। यह शोध हाल ही में प्रतिष्ठित नेचर साइंटिफिक रिपोर्टर्स में प्रकाशित हुआ था।
मानसिक बीमारियां हमारी आबादी के एक बड़े हिस्से को प्रभावित करती हैं। एक महत्वपूर्ण समस्या पर काम करने और मानसिक बीमारियों के निदान में योगदान देने के लिए शोध टीम का प्रयास सराहनीय है।
- प्रोफेसर अजित कुमार चतुर्वेदी, निदेशक आइआइटी रुड़की
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