उत्तराखंड

फर्जी ट्विवटर अकाउंट बनाने वाला हाथ लगने के बाद भी जेल नहीं भेजा DGP

Khushboo Dhruw
28 May 2022 3:16 PM GMT
फर्जी ट्विवटर अकाउंट बनाने वाला हाथ लगने के बाद भी जेल नहीं भेजा  DGP
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सोशल मीडियापर आपके या किसी के भी नाम से फर्जी अकाउंट बना लिए जाने के मामले अक्सर देखने में आते रहते हैं. ऐसा करने वाले धोखेबाज मुकदमा दर्ज करने के बाद गिरफ्तार करके जेल में भी डाल दिए जाते हैं. यह तो सबने सुना है. यह खबर मगर एक उस ऑनलाइन धोखाधड़ी (Online Cheating) से जुड़ी है, जिसमें आरोपी ने राज्य के पुलिस महानिदेशक (Director General of Police) का ही फर्जी ट्विवटर अकांउट बना डाला. आरोपी के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज हुआ. जांच के दौरान ट्विवटर से हासिल जानकारी की मदद से पुलिस टीमें आरोपी तक पहुंच भी गईं. दिलचस्प यह है कि इन तमाम भागीरथी प्रयासों के बाद भी मगर आरोपी को पुलिस गिरफ्तार नहीं कर सकी. ऐसे में सवाल यह पैदा होता है कि डीजीपी के नाम पर इतनी बड़ी धोखाधड़ी को अंजाम देने वाले की गिरफ्तारी आखिर क्यों नहीं हुई

दरअसल यह मामला जुड़ा है उत्तराखंड राज्य के पुलिस महानिदेशकआईपीएस अशोक कुमार (IPS Ashok Kumar) से. इन्हीं के पदनाम से (डीजीपी उत्तराखंड) एक सिरफिरे ने फर्जी ट्विवटर अकाउंट बना डाला. ऐसा नहीं है कि उत्तराखंड में इस तरह से ऑनलाइन साइबर अपराध का यह पहला मामला हो. इससे पहले भी ऐसे मामले सामने आते रहे हैं. अपराधी पकड़ कर जेल भी भेजे जाते रहे हैं. यह मामला तब राज्य पुलिस के संज्ञान में आया जब डीजीपी उत्तराखंड के इस कथित ट्विवटर अकाउंट से किसी ने डीजीपी उत्तर प्रदेश पुलिसको एक शिकायत भी पोस्ट कर डाली. अगर ऐसा न हुआ होता तो शायद पुलिस महानिदेशक के ही नाम से हो रही इस तरह की ऑनलाइन धोखाधड़ी के बारे में जल्दी मालूम भी नहीं पड़ता.
बहरहाल, बात चूंकि राज्य पुलिस महानिदेशक के नाम से फर्जी ट्विवटर अकाउंट बनाकर धोखाधड़ी करने की है. लिहाजा मुकदमा दर्ज करके जांच उत्तराखंड राज्य पुलिस स्पेशल टास्क फोर्स के हवाले कर दी गई. इन तमाम तथ्यों की पुष्टि उत्तराखंड पुलिस स्पेशल टास्क फोर्स प्रभारी एसएसपी अजय सिंह भी करते हैं. एसएसपी एसटीएफ उत्तराखंड के मुताबिक, इस बारे में साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन में सब इंस्पेक्टर मुकेश चन्द्र (प्रभारी सोशल मीडिया सैल पुलिस मुख्यालय उत्तराखंड) द्वारा दर्ज कराया गया था. मुकदमे की तफ्तीश के लिए विशेष जांच दल गठित किया गया. जिसमें साइबर क्राइम थाना प्रभारी इंस्पेक्टर पंकज पोखरियाल के साथ, उप-निरीक्षक राजीव सेमवाल, हवलदार सुरेश कुमार और राज्य पुलिस एसटीएफ की तकनीकी टीम को भी लगाया गया.
बिगड़ैल बेटे संग मां-बाप को भी नसीहत
मुकदमे की पड़ताल कर रही एसटीएफ और साइबर थाना टीमों ने फर्जी अकांउट के बारे में तमाम जानकारियां ट्विवटर से भी हासिल कीं. ट्विवटर से काफी मददगार डिटेल्स हासिल होते ही जांच टीमें आरोपी तक जा पहुंची. पता चला कि यह चार सौ बीसी उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले में रहने वाले किसी शख्स ने की है. लिहाजा उत्तराखंड पुलिस की टीमें उस शख्स तक पहुंची. तब पता चला कि डीजीपी उत्तराखंड के पदनाम से फर्जी ट्विवटर अकाउंट बनाने वाला तो एक खुराफाती दिमाग नाबालिग है. लिहाजा जांच की पूरी दिशा ही पलट गई. पुलिस टीमों ने आरोपी को नाबालिग होने का लाभ देते हुए उसकी गिरफ्तारी तो नहीं की. हां, आरोपी और उसके माता-पिता को जरूर ऐसी नसीहत पुलिस टीमों ने दे डाली कि आइंदा अब वो कभी ऐसी बेजा हरकत करने की हिमाकत न कर सके.
इसलिए गिरफ्तार नहीं हो सका आरोपी
आरोपी की उम्र 17 साल बताई जाती है. आरोपी ने उत्तराखंड पुलिस टीमो के सामने उसने कबूला कि उसने 'प्रैंक' (Prank) किया था. इतना ही नहीं साइबर और उत्तराखंड पुलिस एसटीएफ ने आरोपी को गिरफ्तार तो नहीं ही किया. साथ ही उसे साइबर अपराध का कानूनी बारीकियों के बाबत भी काफी कुछ समझा दिया. यह हरकत करने वाले आरोपी नाबालिग लड़के ने उत्तराखंड पुलिस के सामने कबूला कि उसने अपने दोस्त के घर पर हुई मारपीट में पुलिस सहायता के लिए ट्विवटर पर सर्च करके, पुलिस महानिदेशक उत्तराखंड की फर्जी ट्विवटर आईडी बनाई थी. उसके बाद उसने इसी फर्जी ट्विवटर अकाउंट से शिकायत को उत्तर प्रदेश पुलिस के ट्विवटर अकाउंट पर टैग कर डाला था.


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