उत्तर प्रदेश

योगी आदित्यनाथ सड़कों के गड्ढों को लेकर बेहद सख्त, 15 नवंबर तक का काउंटडाउन शुरू

Admin Delhi 1
9 Nov 2022 8:46 AM GMT
योगी आदित्यनाथ सड़कों के गड्ढों को लेकर बेहद सख्त, 15 नवंबर तक का काउंटडाउन शुरू
x

मेरठ न्यूज़: प्रदेश सरकार के मुखिया योगी आदित्यनाथ सड़कों के गड्ढों को लेकर बेहद सख्त हैं। सख्ती का असर विभागीय मंत्री से लेकर वरिष्ठ विभागीय अधिकारियों तक में देखा जा रहा है। पीडब्ल्यूडी मिनिस्टर जितिन प्रसाद जहां भी दौरे पर जा रहे हैं। वहां सड़कों की हालत से जरुर रु-ब-रु हो रहे हैं। सोमवार को पीडब्ल्यूडी के प्रमख सचिव नरेन्द्र भूषण भी जब मेरठ आए तो बैठक के बाद सीधे पैचवर्क की मॉनिटिरिंग करने पहुंच गए।

दरअसल, पीडब्ल्यूडी के प्रमुख सचिव नरेन्द्र भूषण मेरठ जनपद के नोडल अफसर भी हैं जिसके चलते वो अक्सर मेरठ दौरे पर आते रहते हैं। हालांकि पीडब्ल्यूडी के एक दो वरिष्ठ अफसर इस बात से भी दुखी हैं कि मेरठ नोडल अफसर की जिम्मेदारी उन्ही के विभाग के प्रमुख सचिव के पास क्यों हैं। दरअसल, विभाग के कुछ और अधिकारियों को भी अपने प्रमुख सचिव का मेरठ जनपद का नोडल अफसर बनना अखर रहा है। नोडल अफसर होने के नाते वो जब भी मेरठ आएंगे तो जाहिर बात है कि विभागीय अधिकारियों में खलबली मचना तय है। उनके दौरे से वो 'बेचारे अफसर' बेचैन हो जाते हैं। जिन्हें नरेन्द्र भूषण का मेरठ जनपद का नोडल बनना रास नहीं आ रहा। दरअसल, सोमवार को जब प्रमुख सचिव ने चीफ के दफ्तर में विभागीय अधिकारियों की बैठक ली तो उसमें मुख्य अभियंता से लेकर अधीक्षण और अधिशासी अभियंता और एई तक मौजूद थे।

बैठक में प्रमुख सचिव ने कुछ वरिष्ठ अधिकारियों के पेंच कसे। अब पेंच क्यों कसे यह तो वही जाने, लेकिन इतना तय है कि अगर पेंच कसे गए हैं तो कहीं न कहीं मेरठ पीडब्ल्यूडी के अफसरों से काम को लेकर प्रमुख सचिव नाखुश हैं। यह भी पता चला कि बैठक के बाद प्रमुख सचिव को जिन मार्गों के पैचवर्क दिखाए गए वो पहले से तय थी और बाकायदा ढंग से वहां पैचवर्क को अंजाम दिया गया। यह भी तय है कि यदि प्रमुख सचिव पीडब्ल्यूडी अधिकारियों के हिसाब से निरीक्षण न करते तो एक दो अफसर नप भी सकते थे क्योंकि मेरठ में कई सड़कों की हालत इस समय भी बद से बदतर है। अब इसे इन 'बेचारे'अफसरों पर काम का अधिक बोझ कहें या फिर कुछ और कि कुछ बड़े अधिकारियों से जब कोई जानकारी मांगी जाती है तो वो या तो जानकारी दे नहीं पाते या फिर फोन ही नहीं उठाते अथवा डिस्कनेक्ट कर पिंड छुटा लेते हैं।

कुल मिलाकर जैसे जैसे 15 नवंबर नजदीक आती जा रही है पीडब्ल्यूडी अधिकारियों के माथे के बल बढ़ते जा रहे हैं। एक सप्ताह का समय बचा है और काम ढेर सारा है। क्या यह अफसर प्रदेश सरकार के मुखिया के आदेशों पर खरे उतर पाएंगे अथवा वही ढाक के तीन पात वाली कहावत चरितार्थ होगी, या फिर एक जादू की छड़ी घुमेगी और सभी सड़के गड्ढा मुक्त हो जाएंगी यह अभी कहना मुश्किल है।

Next Story
© All Rights Reserved @ 2023 Janta Se Rishta