उत्तर प्रदेश

लखीमपुर में दुधवा बाघ की दहशत थमी तो हाथियों ने पैदा कर दी मुश्किलें, संकट में हैं यहां के लोग

Renuka Sahu
11 July 2022 5:26 AM GMT
When the panic of Dudhwa tiger stopped in Lakhimpur, elephants created problems, people here are in trouble
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फाइल फोटो 

लखीमपुरखीरी में दुधवा बफर जोन, कतर्निया घाट के करीबी गांवों में कई महीनों से बाघ की दहशत है।

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कतर्निया घाट के करीबी गांवों में कई महीनों से बाघ की दहशत है। इस खौफ के बीच किसान किसी तरह धान और गन्ने की फसल उगा रहे हैं। पर अब पिछले हफ्ते से हाथियों का झुंड फसलों को खा रहा है और रौंद रहा है।

जंगल के किनारे बसे गांवों में अब तक बाघ-बाघिन का खौफ ही भारी था। तिकुनिया, बेलरायां इलाके में बाघों के हमले से पिछले महीने ही चार की जान गई थी। हालात इतने खराब रहे कि डर के मारे किसान खेतों पर नहीं जा पा रहे थे। यह वही मौका था, जब गन्ने की फसल को पानी देना था। साथ ही धान की रोपाई भी करनी थी। धान की रोपाई कर रही महिला को एक बाघ खींचकर ले गया और उसने उसकी जान ले ली थी। इस घटना के बाद से वन विभाग ऑपरेशन टाइगर चला रहा है और अब तक दो बाघ-बाघिन पकड़े भी जा चुके हैं। बावजूद इसके अभी खौफ जारी है।
उधर इसी क्षेत्र में अब जंगली हाथियों के खौफ की शुरुआत हो गई है। जंगली हाथी नेपाल के इलाके से आकर किसानों की फसल रौंद रहे हैं। एक हफ्ते में हाथियों का दल तीन बार आ चुका है। जानकार कहते हैं कि पहले ये हाथी मानसून के बाद आते थे। पर इस बार ये जल्दी आने लगे हैं। किसानों का आरोप है कि आए दिन जंगली जानवर किसानों की फसलों को नुकसान पहुचाते हैं, लेकिन वन विभाग इसकी रोकथाम के लिए कोई ठोस उपाय नहीं करता। बेलरायां के वन क्षेत्राधिकारी विमलेश कुमार ने कहा कि जिन किसानों की फसलों का नुकसान हुआ है, उनके प्रार्थनापत्र देने पर जांच कर नियमानुसार मुआवजा दिलाया जाएगा। हाथियों को को भी वापस जंगल की तरफ भेजा जाएगा।
धान और गन्ना दोनों को संकट
हाथियों के लगातार आने से धान और गन्ना दोनों को संकट है। अब तक तो गन्ना ही तैयार हो रहा है, लेकिन हाथी धान की पौध को नर्म चारे की तरह खा जाते हैं। किसान कहते हैं कि गन्ने की फसल को हाथियों की वजह से हर बार प्रभावित होती है। पर धान के खेत से एक बार हाथियों का झुंड गुजर जाए तो कुछ बचता ही नहीं है। अभी खेतों में धान की रोपाई चल रही है। ऐसे में यह हमला किसानों पर भारी पड़ रहा है।
हाथियों का परंपरागत रूट
बेलरायां रेंज से होकर हाथी हर साल गुजरते हैं। नेपाल से आए हाथी इसी रास्ते से दुधवा, किशनपुर सेंच्युरी और फिर पीलीभीत जाते हैं। वन विभाग भी चिह्नित रास्तों का डाटा तैयार कर रहा है। एफडी दुधवा संजय पाठक का कहना है कि अभी एक-दो जगह हाथी देखे गए हैं। फिर भी टीमें अलर्ट हैं। हाथियों के आने पर उनको खेतों से हटाने की तैयारी की जाती है।
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