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- जो कुछ है वह धान-गेहूं...
लखनऊ, करीब चार दशक से खेती कर रहा हूं। जब खेती करना शुरू किया तो तीन भाइयों (स्वर्गीय हरिश्चंद्र, शिवाजी चंद-ब्लॉक प्रमुख गगहा) के संयुक्त परिवार में मात्र 7-8 एकड़ खेत था। आज हमारे पास 30 एकड़ से अधिक खेत है। इस दौरान सिर्फ खेत का का रकबा ही नहीं बढ़ा, और भी बहुत सी चीजें हुईं। खेती के हर जरूरी आधुनिक संसाधन संसाधनों जैसे जमीन को समतल करने की अत्याधुनिक मशीन लैंड लेजर लेवलर, खाद-बीज एक साथ गिरे, पौधे लाइन से उगें, खर-पतवार का नियंत्रण आसानी से हो सके इसके लिए हैप्पी सीडर, सिंचाई के दौरान पाइप के रिसाव से होने वाली पानी की बरबादी कम करने के लिए प्लास्टिक की मजबूत एचडी पाइप आदि की भी व्यवस्था हुई।
इसके अलावा संयुक्त परिवार में 2 पेट्रोल पंप, इंटरलॉकिंग में उपयोग होने वाली सीमेंट की ईंट बनाने की एक यूनिट भी स्थापित हुई। ये जो कुछ है, खेती की ही बदौलत है। वह भी गेहूं एवं धान की परंपरागत खेती से ही।यह कहना है 56 वर्षीय दिनकर चंद का। श्री चंद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह जनपद गोरखपुर के गगहा क्षेत्र के नर्रे गाँव के रहने वाले हैं।
उनके मुताबिक परंपरागत खेती भी बुरी नहीं है। शर्त यह है कि फसल के अनुरूप खेत की तैयारी हो। बोआई के लिए कृषि जलवायु क्षेत्र के अनुसार उन्नत प्रजातियों का चयन करें और समय-समय पर कीटों एवं रोगों से बचाने के लिए फसल संरक्षा के जरूरी उपाय करें। खेत में हर एक साल के अंतराल पर हरी खाद एवं भूमि में कार्बनिक तत्वों की मात्रा बढ़ाने के लिए ढैंचे की बोआई करें। जहां तक संभव हो गोबर की खाद भी डालें। दिनकर चंद ये सारी चीजें खुद भी करते हैं। घर में अक्सर चार गायें रहती हैं। इससे गोसेवा भी हो जाती है। शुद्ध दूध, दही, घी के साथ गोबर की खाद बोनस है।
यंत्रीकरण से बहुत कम हो जाती है श्रम की लागत
श्री चंद के मुताबिक यंत्रीकरण ने यह काम आसान कर दिया है। सरकार का जोर भी इस पर है। अनुदान पर कृषि यंत्र दिये जा रहे। अनुदान का भुगतान सीधे पूरी पारदर्शिता से किसानों के खाते में किया जाता है। इससे किसानों का रुझान भी बढ़ा है।
हैप्पी सीडर से एक आदमी एक घंटे में बो सकता है एक एकड़ खेत
दिनकर चंद के मुताबिक अगर आप हैप्पी सीडर के चोंगे में खाद-बीज डाल सकते हैं तो खुद ट्रैक्टर से एक घंटे में एक एकड़ खेत बो सकते हैं। कंबाइन ने कटाई भी आसान कर दी है। यंत्रीकरण के जरिये आप समय और श्रम के रूप में लगने वाले संसाधन को बचाकर स्थानीय स्तर पर अपनी रुचि के अनुसार और भी काम कर सकते हैं।