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लव मैरिज के दस माह बाद ही पत्नी की हत्या कर थाने पहुंचा
आगरा न्यूज़: शाहगंज के प्रकाश नगर में रात पति ने गला दबाकर पत्नी की हत्या कर दी. वह बच नहीं जाए इसके बाद उसकी गर्दन पर चाकू से ताबड़तोड़ प्रहार किया. हत्या के बाद पति खुद थाने पहुंचा. पुलिस से कहा कि गर्भवती पत्नी को मार डाला. पुलिस ने उसे हिरासत में लिया. दस माह पहले ही लव मैरिज की थी. तहरीर के आधार पर पुलिस ने दहेज हत्या की धारा के तहत मुकदमा दर्ज किया है. अन्य ससुरालीजन फरार हैं.
सुबह करीब चार बजे थे. शाहगंज थाने पर एसआई ज्ञानेश्वर और कुछ पुलिस कर्मी मौजूद थे. प्रकाशनगर निवासी प्रवीन नाम का युवक थाने आया. पुलिस को बताया कि पत्नी नैना से झगड़ा हुआ था. उसने पत्नी को मार डाला. यह सुनकर पुलिस कर्मी सन्न रह गए. उसे हिरासत में लिया. उससे पूछा कि घर कहां है. शादी कब हुई थी. पत्नी का मायका कहां पर है. प्रवीन ने पुलिस को बताया कि नैना का मायका उसके घर के पास ही है. पुलिस ने मायके वालों को सूचना दी. पुलिस की एक टीम घटना स्थल पर पहुंची. प्रवीन के घरवाले भाग चुके थे. कमरे में नैना की लाश पड़ी थी. खून बिखरा हुआ था. पूछताछ में प्रवीन ने पुलिस को बताया कि पत्नी पांच माह से गर्भवती थी. रात को झगड़ा हो गया था. उसने गुस्से में पत्नी का गला दबाया. पत्नी बच जाएगी तो उसे जेल भिजवा देगी. इसके चलते रसोई में गया. वहां से चाकू लेकर आया. गर्दन पर कई प्रहार किए. पहले भागने वाला था. बाद में सोचा कि पुलिस तो पकड़ ही लेगी. कब तक भागेगा, इसलिए खुद थाने पहुंच गया.
दहेज में प्लाट के लिए आए दिन पीटता था
नैना की मां का आरोप है कि प्रवीन दहेज में एक प्लाट मांग रहा था. बेटी इसके खिलाफ थी. प्रवीन आए दिन बेटी के साथ मारपीट करता था. बेटी गर्भवती थी. उसे लगता था कि रिश्ता तोड़ेगी तो मायके वाले ही ताना मारेंगे. बोलेंगे कि पति तो उसने खुद चुना था. इस कारण वह खामोश रहती थी. नैना ने चार महीने पहले प्रवीन की पुलिस से शिकायत की थी. पुलिस ने शांतिभंग में उसका चालान किया था.
तीन भाइयों के बीच इकलौती बहन थी
मां निखिलेश ने पुलिस को बताया कि तीन पीढ़ियों के बाद बेटी के रूप में नैना ने उनकी कोख से जन्म लिया था. वह तीन भाइयों की इकलौती बहन थी. परिवार में बेटियों का जन्म तो होता था, लेकिन बचती नहीं थीं. इसलिए, बेटी के लिए उनके घरवालों ने बहुत मन्नतें मांगी थीं. तब नैना सही सलामत हुई थी. लोगों के कहने पर पांच साल तक नैना को दूसरों से मांगकर कपड़े पहनाए थे. उसे पढ़या लिखाया. उसमें पूरे परिवार की जान बसती थी. बेटी को पढ़ाने के लिए उन्होंने (मां) मजदूरी तक की.